प्रिंस ऑफ कोलकाता सौरव गांगुली को एकदिवसीय श्रृंखला से बाहर रखने से निराश बांग्लादेश के क्रिकेट प्रेमियों को टेस्ट श्रृंखला का बेसब्री से इंतजार है, जिससे वह भारत के पूर्व कप्तान को अपने बल्ले के जौहर दिखाते हुए देख सकें।
बांग्लादेश में गांगुली के काफी समर्थक हैं लेकिन उन्हें और सचिन तेंडुलकर को तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला से बाहर रखा गया है। दोनों को टेस्ट टीम में शामिल किया गया है।
गौस ए पाक भवन मार्केट में खाने की दुकान चलाने वाले अली नूर इस्लाम खान ने कहा हम गांगुली से बेपनाह मुहब्बत करते हैं। उनमें लड़ते रहने का जज्बा है। हमारे देश के लोगों को उनको टीम से बाहर रखना पसंद नहीं है, लेकिन जिस तरह उन्होंने वापसी की उसके एक एक लम्हे को हमने सराहा है। उन्होंने विश्व कप में भी अच्छा प्रदर्शन किया। इसलिए हम उन्हें टेस्ट और वनडे दोनों टीमों में देखना चाहते थे।
एक युवा प्रशंसक इंसान अली ने गांगुली की तारीफ करते हुए कहा वह महान कप्तान रहा है। मुझे लगता है कि अगर वह कप्तान होते तो भारत का प्रदर्शन बेहतर होता। मैं निश्चित रूप से पहले टेस्ट मैच के लिए मीरपुर स्टेडियम जाउगा और उन्हें बल्लेबाजी करते देखूँगा।
बांग्लादेश की राजधानी में गांगुली के इस कदर केज का कारण यह भी है कि वह पश्चिम बंगाल से हैं। उनकी मातृभाषा भी बंगाली है जो यहाँ की अधिकांश आबादी बोलती है। बांग्लादेश में गांगुली का प्रदर्शन भी प्रभावी रहा है। उन्होंने 2000-01 की श्रृंखला में अपनी कप्तानी में भारत को तीनों टेस्ट में जीत दिलाई। इसके बाद 2004-05 में भी भारत ने यहां दोनों टेस्ट जीते।
यहाँ अभी तक एक भी टेस्ट शतक जमाने में नाकाम रहे गांगुली ने तीनों पारियों में 84, 71 और 88 रन बनाए। उन्होंने यहाँ 17 वन-डे खेले हैं जिनमें से दस में वह कप्तान रहे। उन्होंने बांग्लादेशी सरजमीं पर दो वन-डे शतक भी जमाए हैं।
बीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि इससे पहले भारतीय टीम के दौरों पर गांगुली के टीम में रहने से टिकटों की बिक्री बहुत अच्छी होती रही है। उन्होंने कहा वह हमेशा से सचिन तेंडुलकर की तरह दर्शकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहे हैं।