भारतीय क्रिकेटरों को वाडा के नियम मान्य नहीं

सोमवार, 3 अगस्त 2009 (10:43 IST)
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपने खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए विवादास्पद वाडा डोपिंग रोधी धारा को नामंजूर कर दिया, जिसके मुताबिक टूर्नामेंट से बाहर होने वाले परीक्षण के लिए क्रिकेटरों का उपलब्ध होना अनिवार्य है। इस फैसले से बीसीसीआई आईसीसी से टकराव की स्थिति में आ गया है।

बीसीसीआई ने कहा कि उसे खिलाड़ियों के टेस्ट से कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह वाडा संहिता का हिस्सा है, लेकिन वह क्रिकेटरों की ‘व्हेयरअबाउट क्लाज’ चिंता का पूर्ण समर्थन करता है, जिसमें उन्हें टूर्नामेंट से बाहर की जाने वाली जाँच के लिए तीन महीने पहले अपनी उपलब्धता की जानकारी देना जरूरी होगा।

बोर्ड की कार्यकारी समिति की यहाँ हुई आपात बैठक में खिलाड़ियों के समर्थन का फैसला किया गया, जिसमें इस मुद्दे पर गंभीरता से लंबी बातचीत हुई। कप्तान महेंद्रसिंह धोनी, युवराजसिंह और हरभजनसिंह इस बैठक में मौजूद थे।

बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने बैठक के बाद कहा कि हम डोपिंग रोधी जाँच पर सहमत हैं, लेकिन हम सिर्फ प्रणाली का विरोध कर रहे हैं। मुद्दा टूर्नामेंट से बाहर की जाँच का है। हमारे खिलाड़ी परीक्षण के लिए तैयार हैं, लेकिन उनका कहना है कि वे अपनी उपलब्धता की जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं। इस चीज पर हम उनका समर्थन करते हैं।

मनोहर ने कहा ‍कि आप किसी भी व्यक्ति की निजी जिंदगी में दखल नहीं दे सकते। मैं नहीं जानता कि आईसीसी क्या करेगी। इस निर्णय के असर पर फैसला तभी होगा, जब हम आईसीसी को लिखेंगे। आज कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। बीसीसीआई ने इस धारा को अस्वीकार करने के लिए तीन कारण बताए।

उसने कहा कि यह भारतीय संविधान का उल्लंघन और खिलाड़ियों की निजी जिंदगी में दखल होगा। भारतीय खिलाड़ी सुरक्षा कवर में रहते हैं और इसके रहते वे अपनी उपलब्धता का खुलासा नहीं कर सकते। दूसरा यह क्रिकेटरों की व्यक्तिगत जिंदगी में दखल होगा। तीसरा हमारा संविधान प्रत्येक व्यक्ति की निजता की गारंटी देता है। आप 365 दिन में प्रत्येक दिन के 24 घंटे तक किसी की निजता में दखल नहीं कर सकते।

बीसीसीआई के इस कड़े रवैये ने आईसीसी को हैरानी में डाल दिया है क्योंकि अन्य टेस्ट खेलने वाले देशों के ज्यादातर क्रिकेटरों ने इस संहिता पर हस्ताक्षर करने में सहमति जता दी है। इससे बीसीसीआई और खेल की शीर्ष संस्था के बीच ताजा विवाद का संकेत दिख रहा है, जो हाल में बीते समय में कई मौकों पर टकराव की स्थिति में रह चुका है।

यह पूछे जाने पर कि बीसीसीआई के संहिता से इनकार के संबंध में आईसीसी के पास क्या विकल्प होंगे तो मनोहर ने कहा कि संहिता के अनुसार चलना अनिवार्य नहीं है। वाडा एक प्राइवेट एजेंसी है, जिससे आईसीसी जुड़ गया है। कल आईसीसी यह कह सकता है कि हम तुम्हें नहीं चाहते। हम अपनी खुद की डोप टेस्ट करने की प्रणाली रख सकते हैं।

बीसीसीआई ने कहा कि हालाँकि संहिता पर चर्चा 2006 से चल रही है, लेकिन जाँच प्रणाली कभी भी आईसीसी बैठकों में थोपी नहीं गई। मनोहर ने खुलासा किया कि यह मुद्दा 2006 में उठा था, तब इस पर चर्चा की गई थी और हर कोई सहमत था कि क्रिकेट में कोई डोपिंग नहीं होनी चाहिए।

क्रिकेट को वाडा के मुताबिक काम करना चाहिए, लेकिन टेस्ट प्रणाली के बारे में कभी आईसीसी में चर्चा नहीं की गई। बीसीसीआई सचिव एन. श्रीनिवासन भी इस बैठक में मौजूद थे और उन्होंने जोर देते हुए कहा कि खिलाड़ी डोप परीक्षण से बचने की कोशिश नहीं कर रहे, लेकिन वे सिर्फ अपनी निजता को लेकर चिंतित हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों ने कभी भी टूर्नामेंट से बाहर डोप परीक्षण का विरोध नहीं किया। हमने आईसीसी को बता दिया कि अगर आप टूर्नामेंट से बाहर टेस्ट करना चाहते हो तो आप हमें नाम बताओ, हम उन्हें आपके समक्ष प्रस्तुत कर देंगे, लेकिन 24 घंटे की उपलब्धता का ‘व्हेहरअबाउट क्लॉज’ एक समस्या है।

आईसीसी हालाँकि कह चुका है कि इस संबंध में वह भारतीय खिलाड़ियों की चिंताओं से वाकिफ है और उसे पूरा भरोसा है कि इसका हल निकल जाएगा।

आईसीसी के मीडिया एंड कम्युनिकेशंस मैनेजर ब्रायन मुर्गाट्रोयड ने कहा कि आईसीसी बीसीसीआई के इस मुद्दे को समय देने की आभारी है। हम इस मुद्दे और चिंताओं से वाकिफ हैं, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि इसका हल निकल सकता है। हम इसका व्यावहारिक हल चाहते हैं। इस संबंध में अगला कदम होगा कि इसे आईसीसी बोर्ड तक ले जाया जाए।

बीसीसीआई अध्यक्ष ने कार्यकारी बैठक से पहले सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग से इस संबंध में बातचीत की। ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस धारा पर हस्ताक्षर कर चुके हैं, भारतीय क्रिकेटर भी इनसे अलग नहीं हैं क्योंकि फुटबॉल की शीर्ष संस्था फीफा भी इस संहिता की हस्ताक्षरी है।

फीफा अब तक वाडा से इस विवादास्पद धारा की समीक्षा करने के लिए बातचीत कर रही है और बीसीसीआई आईसीसी से इसकी समीक्षा के दौरान यह पक्ष रख सकती है।

इस परीक्षण के पूल के लिए भारत के 11 क्रिकेटर तेंडुलकर, धोनी, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, युवराजसिंह, इरफान पठान, मुनाफ पटेल, जहीर खान, हरभजनसिंह, झूलन गोस्वामी और मिताली राज हैं।

क्या होंगे परिणाम : यदि भारतीय क्रिकेटर वाडा के ‍‍नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें जुर्माने के साथ 2 साल के प्रतिबंध का सामना भी करना पड़ सकता है। आईसीसी और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के बीच पहले भी घमासान हो चुका है। अब देखना दिलचस्प होगा कि वाडा नियम को लेकर क्या बीच का रास्ता निकाला जा सकता है क्योंकि आईसीसी भी जानता है कि भारत आज दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट संगठन है और उसके बिना दुनिया की क्रिकेट बिरादरी नहीं चल सकती।

क्या है वाडा का नियम : वाडा एक स्वतंत्र संस्था है। इसमें क्रिकेटरों को अपने आगामी 90 दिनों के कार्यक्रम की जानकारी देनी होगी कि वह कहाँ होगा और क्या कर रहा होगा। यदि खिलाड़ी अपने कार्यक्रम में बदलाव करता है तो इसकी जानकारी ऑन लाइन वह वाडा को दे सकता है। वाडा को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी वक्त क्रिकेटर का डोपिंग टेस्ट करवा सकता है।

अन्य खेलों के लिए नियम : वाडा का दुनिया के सभी खेलों से अनुबंध है। फिर वह एथलीट हो या फिर टेनिस खिलाड़ी। वाडा को सभी खिलाड़ी अपने कार्यक्रम की जानकारी देते रहते हैं। पिछले दिनों इस नियम की खिलाफत स्टार टेनिस खिलाड़ी राफेल नडाल कर चुके हैं।

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