सचिन, सहवाग की फार्म से भारत को चिंता

सोमवार, 25 फ़रवरी 2008 (20:31 IST)
त्रिकोणीय श्रृंखला के सबसे मुश्किल मोड़ पर खड़ी भारतीय टीम के लिए युवा खिलाड़ियों की फौज में सबसे अनुभवी सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग की लचर फार्म सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है।

कप्तान महेंद्रसिंह धोनी भी साफ तौर पर कह चुके हैं कि भारत को यदि फाइनल में पहुँचना है, तो इन दोनों सलामी बल्लेबाजों के अलावा शीर्ष क्रम को हर हाल में अच्छा प्रदर्शन करना होगाधोनी ने कहा कि शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों ने अब तक खास योगदान नहीं दिया है। यदि शीर्ष क्रम के बल्लेबाज रन बनाते हैं, तो इससे निचले क्रम के बल्लेबाजों के लिए काफी आसानी हो सकती है।

तेंडुलकर और सहवाग शीर्ष क्रम का मुख्य हिस्सा हैं और इन दोनों की असफलता के कारण पिछले कुछ मैचों में टीम काफी दबाव में रही है। तेंडुलकर ने वर्तमान त्रिकोणीय श्रृंखला में सात मैच की सात पारियों में केवल 18.28 की औसत से 128 रन बनाए हैं, जिसमें अर्धशतक तक शामिल नहीं है। असल में वन डे में 41 शतक ठोकने वाले तेंडुलकर ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर अब भी पहले शतक के इंतजार में हैं।

ऑस्ट्रेलियाई धरती पर टेस्ट मैचों में खूब रन बटोरने वाले तेंडुलकर एकदिवसीय मैचों में ऐसा नहीं कर पाए हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अब तक जो 37 मैच खेले हैं उनमें 31.67 की औसत से 1077 रन बनाए हैं। जिसमें आठ अर्धशतक शामिल हैं।

तेंडुलकर से होबार्ट में कल श्रीलंका के खिलाफ बड़ी पारी की उम्मीद की जा रही है। यह वही मैदान है जहाँ उन्होंने 2000 में पाकिस्तान के खिलाफ 93 रन बनाए थे जो ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर उनका उच्चतम स्कोर भी है। होबार्ट में इसके अलावा उन्होंने 57 और 44 रन की दो पारियाँ भी खेली हैं।

सहवाग ने टेस्ट श्रृंखला में अच्छा प्रदर्शन करके एकदिवसीय टीम में वापसी की लेकिन उन्हें जिन पाँच मैच में खेलने का मौका मिला है उनमें वह 16.20 की औसत से केवल 81 रन बना पाए हैं।

धोनी ने संकेत भी दे दिए हैं कि तेंडुलकर के साथ रोबिन उथप्पा को पारी का आगाज करने के लिए बुलाया जा सकता है, जिन्हें अब तक बहुत अधिक मौके नहीं मिले हैं। उथप्पा ने अब तक सात मैच की पाँच पारियों में 21.00 की औसत से 84 रन बनाए हैं, लेकिन उन्होंने दो अच्छी पारियाँ खेली हैं।

उथप्पा के इस प्रदर्शन से ही धोनी उन्हें शीर्ष क्रम में भेजने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास कुछ विकल्प है। रोबिन को तेंडुलकर के साथ पारी का आगाज करने भेजा जा सकता है।

शीर्ष क्रम में तीसरे अनुभवी बल्लेबाज युवराजसिंह तो ऑस्ट्रेलियाई धरती पर कदम रखने के बाद से केवल एक बार अच्छी पारी खेल पाये हैं। उन्होंने त्रिकोणीय श्रृंखला के सात मैच में 19.66 की औसत से 118 रन बनाए हैं, जिसमें श्रीलंका के खिलाफ एडिलेड में खेली गई 76 रन की पारी भी शामिल है। यदि इस पारी को निकाल दिया जाता है, तो युवराज के नाम पर बाकी छह पारियों में 7.00 की औसत से केवल 42 रन दर्ज होंगे।

सचिन सहवाग और युवराज की असफलता के कारण भारतीय टीम अक्सर दबाव में रही। ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के चोटी के छह बल्लेबाज 102 रन पर आउट हो गई थे, जबकि इसी मैदान पर श्रीलंका के खिलाफ चार बल्लेबाज 83 रन तक पवेलियन में विराजमान थे। इन दोनों मैच में बारिश के कारण भारत अंक हासिल करने में सफल रहा था।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में जिस मैच में भारत ने जीत दर्ज की उसमें उसका स्कोर एक समय पाँच विकेट पर 102 रन था। धोनी और रोहित शर्मा यहाँ से अच्छी पारियाँ खेलकर टीम को जीत दिलाई। कैनबरा में श्रीलंका के खिलाफ सचिन, सहवाग 49 रन तक पवेलियन पहुँच गई थे। भारत यह मैच आठ विकेट से हारा था।

एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार विकेट पर 59 रन पर उखड़ गई और टीम 205 रन के लक्ष्य के सामने 153 रन पर सिमट गई। इसी मैदान पर श्रीलंका के खिलाफ भारतीय स्कोर एक समय तीन विकेट पर 35 रन था, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में वही कहानी दोहराई गई और जब बोर्ड पर 51 रन थे तब तक चोटी के चार बल्लेबाज पवेलियन पहुँच गई थे।

लगभग हर मैच में भारत को इस संकट से गौतम गंभीर, धोनी या रोहित शर्मा ने उबारा। गंभीर ने अब तक सात मैच में 59.83 की औसत से 359 धोनी ने 74.00 की औसत से 296 और रोहित ने 32.80 की औसत से 164 रन बनाए हैं।

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