सुनील गावस्कर बदलाव नहीं होने से सहमत

मंगलवार, 27 नवंबर 2012 (23:04 IST)
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पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने मुंबई में इंग्लैंड के हाथों करारी हार के बावजूद तीसरे टेस्ट के लिए भारतीय टीम में बदलाव नहीं करने के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि फिलहाल इसकी जरूरत नहीं थी।

राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने मौजूदा टीम के साथ ही कोलकाता टेस्ट में उतरने का फैसला किया है। बंगाल के तेज गेंदबाज अशोक डिंडा को चोटिल उमेश यादव की जगह टीम में जगह दी गई है। वह स्टैंडबाय थे।

गावस्कर ने एनडीटीवी से कहा कई ऐसे युवा खिलाड़ी हैं जो टीम का दरवाजा खटखटा रहे हैं। भारत अगर 2-0 से आगे होता तो कुछ युवाओं को मौका दे सकता था लेकिन हम आमूलचूल बदलाव नहीं कर सकते, इससे अनिश्चितता पैदा होती है।

उन्होंने कहा हमें स्थिति पर भी ध्यान देना होगा। चयन समिति प्रयोग करने या युवा खिलाड़ियों को मौका देने की इच्छुक नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से यही स्थिति रही है और इसमें बदलाव नहीं आया है। गावस्कर ने कहा कि भारतीय टीम की सबसे बड़ी मुसीबत आत्ममुग्धता है।

उन्होंने कहा आत्ममुग्धता भारतीय क्रिकेट की मुसीबत है। दशकों से यह मौजूद है, यह तब भी थी जब मैं खेलता था। इसने हमें हमेशा निराश किया है। जब विरोधी टीम 160 रन पर पांच या छह विकेट गंवा देती है तो हम सहज हो जाते हैं और फिर विकेटकीपर निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ 200 रन जोड़ लेता है। पहले टेस्ट में और यहां (मुंबई में) भी ऐसा ही हुआ।

पूर्व महान सलामी बल्लेबाज गावस्कर ने कहा कि इस रवैये में बदलाव करना होगा। सचिन तेंडुलकर के अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहने के बाद उनके बारे में लगातार हो रही चर्चा पर गावस्कर ने कहा कि ऐसे बल्लेबाज के बारे में ऐसी बातें करने की कोई जरूरत नहीं है, जिसने भारतीय क्रिकेट के लिए इतना कुछ किया है।

उन्होंने कहा ऐसे व्यक्ति के बारे में इतनी जल्दबाजी की क्या जरूरत है जो इतने लंबे समय तक भारत के दिलों की धड़कन रहा है। हम हमेशा अतिवादी प्रतिक्रिया देते हैं। ऑस्ट्रेलिया को हमेशा कड़े फैसले लेने के लिए जाना जाता है लेकिन क्या उन्होंने तीसरे टेस्ट (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ) के लिए रिकी पोंटिंग को बाहर कर दिया।
तेंडुलकर लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं और पिछली 10 पारियों में उन्होंने 15.3 की औसत से सिर्फ 153 रन बनाए हैं जो भारत के शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों में सबसे कम है।

स्पिन तिकड़ी को श्रीकांत का समर्थन : राष्ट्रीय क्रिकेट चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष कृष्णमाचारी श्रीकांत ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट के लिए भारतीय टीम में आर अश्विन, प्रज्ञान ओझा और हरभजन सिंह की तिकड़ी को बरकरार रखने के फैसले का बचाव किया।

अश्विन, ओझा और हरभजन की तिकड़ी के खिलाफ इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने आसानी से रन बटोरे थे और मेहमान टीम वानखेड़े स्टेडियम की स्पिन की अनुकूल पिच पर 10 विकेट से जीत दर्ज करने में सफल रही थी। श्रीकांत ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी को सिर्फ एक खराब प्रदर्शन के आधार पर टीम से बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

यह पूछने पर कि क्या टीम में लेग स्पिनर को शामिल करने से अधिक विविधता आती? श्रीकांत ने ‘सीएनएन आईबीएन’ से कहा, ‘टीम में लेग स्पिनर का शामिल होना बेहतरीन होता लेकिन आप सिर्फ एक मैच के आधार पर किसी को बाहर नहीं कर सकते। उसे उचित मौका मिलना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘हरभजन सिंह ने एक साल के बाद टीम में वापसी की है। हम सिर्फ एक पारी के आधार पर उन्हें बाहर नहीं कर सकते। सभी को पता है कि उन्होंने अभी अपनी पुरानी फॉर्म हासिल नहीं की है और उन्हें कुछ और समय देने की जरूरत है।' (भाषा)

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