पिलकेन्द्र अरोरा द्वापर युग में जब यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? तो पांडवश्री ने कहा कि मृत्यु की घटना रोज-रोज होती है फिर भी लोग अमर होने की आकांक्षा रखते हैं। यही सबसे बड़ा आश्चर्य है। पर यदि युधिष्ठिर कलयुग में होते तो इस यक्ष प्रश्न के उत्तर में एकदम कन्फ्यूज्ड हो जाते क्योंकि अब एक नहीं अनेक बड़े आश्चर्य हैं और सभी एक से बढ़कर एक हैं। प्रस्तुत है कुछ चुनिंदा बड़े आश्चर्य :-
समूचा विश्व जानता है कि पाकिस्तान-अमेरिका का गुर्गा नंबर वन है फिर भी भारत अमेरिका द्वारा पाक को दी जाने वाली लालीपॉप सहायता का विरोध कर रहा है...। पाक का भारत के प्रति रवैया हमेशा नापाक रहा है। फिर भी हम उससे वार्ता और समझौते की उम्मीद करते हैं...।
डॉ. मनमोहन सिंह हमारे देश के पूर्ण प्रधानमंत्री नहीं हैं। उन्हें केवल प्रधानमंत्री का दर्जा प्राप्त है फिर भी उन्हें प्रधानमंत्री समझा जाता है...।
साध्वी उमा भारती का भाजपा रिटर्न का पासपोर्ट तो बन गया है पर वीजा न मिलने के कारण वे आज तक पार्टी के वेटिंग रूम में मौन हैं!
घोषणापत्रों की घोषणाएँ कागज होती हैं फिर भी चुनावों में प्रजा लंबी-लंबी लाइनों में लग तंत्र के लिए मतदान करती है...।
यह देश भूख, गरीबी और महंगाई की डायनों से मुक्त नहीं हो सकता फिर भी कर्णधारों के वायदों और आश्वासनों पर अंधविश्वास किया जाता है...।
देश की राजनीति और नौकरशाही के गेम में "वेल्थ का भ्रष्टाचार" अब कानून हो गया है फिर भी उसके निवारण के लिए कानून वगैरह बनाए जाते हैं। किसी भी कर्म या कांड की जांच के लिए बनी समिति कभी समय पर सही रिपोर्ट नहीं देती पर फिर भी जाँच समितियों के गठन का कर्मकांड किया जाता है।
परमपूज्य साधु-संतों के खिलाफ रंगीन-संगीन आरोप प्रायः लगते ही रहते हैं, फिर भी उनके पंडालों में भक्तों की भीड़ कम नहीं होती। साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं के पाठकों की नस्ल लुप्तप्रायः है, फिर भी लेखकगण थोक में साहित्य का उत्पादन करने पर आमदा हैं! फिल्मों और टीवी चैनलों में बढ़ती हिंसा व अश्लीलता कभी खत्म नहीं होगी लेकिन फिर भी संस्कृति के ठेकेदार सभ्यता और संस्कृति का ढोल पीटते रहते हैं।
कॉमनवेल्थ गेम्स भारत की सैकड़ों वर्ष की गुलामी और उसके शोषण का प्रतीक हैं लेकिन फिर भी देश उसका आयोजन करना अपनी आन, बान और शान समझता है। इस बार हम सबने देखा की भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के बीच भारत ने कॉमनवेल्थ खेलों का गर्व के साथ आयोजन किया। फिक्सिंग विवादों के कारण क्रिकेट की चमक-दमक आउट हो रही है फिर भी उसके लाखों दीवाने अभी तक नाट आउट हैं!
आश्चर्य अनंत, आश्चर्य कथा अनंता बेहतर है रचना अंत।