क्या आम आदमी भ्रष्टाचार नहीं करता?

मंगलवार, 16 अगस्त 2011 (15:27 IST)
अण्णा हजारे को अपार जन समर्थन मिल रहा है। भ्रष्टाचार के ‍खिलाफ लड़ाई में आम आदमी अण्णा के साथ है। लेकिन अण्णा के आंदोलन को जायज करार देने वाला और भ्रष्टाचार को बुराई और बीमारी मानने वाला यह आम आदमी खुद अपने दैनिक जीवन में भ्रष्टाचार से मुक्त है?

क्या यह आम आदमी छोटे स्तर पर अपने काम निकलवाने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देता? क्या यह आम आदमी प्रशासन द्वारा निर्धारित भवनकर, जलकर, और अन्य निर्धारित कर अपनी संपत्ति की सही जानकारी देकर भरता है? क्या यह आम आदमी आयकर में छूट लेने की गरज से फर्जी दस्तावेज, नहीं लगाता? क्या यह आम आदमी सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए खुद की आय संबंधित जानकारी नहीं छुपाता है?

अगर आम आदमी अपने दैनिक जीवन में भ्रष्टाचार में किसी भी स्तर पर लिप्त है तो क्या उसे किसी दूसरे को भ्रष्ट मानने या कहने का अधिकार है?

हो सकता है कि आम आदमी पर ऊपर लगाए गए आरोपों में से कई में वह ईमानदार भी हो, लेकिन यह भी सच है कि व्यवस्था ही इतनी खराब हो चुकी है कि हर आदमी कहीं न कहीं जाने अंजाने में भ्रष्टाचार में शामिल है।

इस बारे में अण्णा के समर्थकों का तर्क है कि लोकपाल के जरिये बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है। अण्णा देश और समाज से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं। इसके लिए पहले उन लोगों को काबू में लाया जाएगा जो अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। बाद में यह आम आदमी के स्तर पर भी आएगा।

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