माओवादियों का 'बिन लादेन' कहा जानेवाला सुप्रीम कमांडर मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति देश के सबसे ज्यादा वांछित अपराधियों में से एक है तो माओवादी नेताओं में एक नाम किशनजी का भी है। गणपति के सिर पर लगभग पंद्रह लाख रुपए का इनाम है। डेढ़ दर्जन राज्यों की पुलिस उसकी तलाश में है। सीपीआई (माओवादी) का जनरल सेक्रेटरी गणपति आंध्र प्रदेश के करीम नगर जिले के बीरपुर का रहने वाला है।
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करीमनगर में अपनी पढ़ाई करने के बाद उसने वारंगल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहीं उसकी मुलाकात माओवादी नेता नल्ला आदि रेड्डी और सीतारमैया से हुई। कुछ समय तक उसने स्कूल में पढ़ाया भी। वैसे भी साठ वर्षीय दुबला-पतला नक्सली देखने में स्कूल मास्टर ही लगता है। उसका फोटो तक उपलब्ध नहीं है। उसका एक ही फोटो है जो सितंबर 2003 में हुई यूनिटी कांग्रेस के दौरान तैयार किए गए एक वीडियो से लिया गया।
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अब बात करते हैं नक्सलियों के प्रचार पुरुष किशनजी की। आमतौर पर नक्सली प्रेस से दूर रहते हैं। वे अपनी बात अपने मुखपत्र या पोस्टरों के जरिए कहते हैं पर किशनजी इन सबसे अलग हैं। सबसे पहले मई 2009 में उसने अपनी मां को लिखे पत्र की प्रति एक तेलुगु अखबार को भेजी थी। उसमें उसने कहा था कि अपने स्कूल के बाहर पुलिस की गोलाबारी के बाद उसने माओवादी बनने का फैसला कर लिया था। उसकी मां मधुरम्मा पेड्डापल्ली में रहती है। उसके मुताबिक उसने किशनजी को अंतिम बार वर्ष 1994 में देखा था।
माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी का पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्र्फ किशनजी आज भले ही हिंसक गतिविधियों का रणनीतिकार बन गया हो आंध्र प्रदेश पुलिस की स्पेशल इंटेलीजेंस ब्रांच के रिकॉर्ड के मुताबिक वह बेहद शर्मीला व्यक्ति था। अब वह न केवल मीडिया को खुद फोन कर अपनी करतूतों का बखान करता है बल्कि टीवी कैमरों के सामने आकर साक्षात्कार देने का शौक भी रखने लगा है।