भारत को एकमात्र ओलिम्पिक टेनिस पदक दिलाने वाले लिएंडर पेस ने कहा कि अभी उनके संन्यास लेने की कोई योजना नहीं है और वह 2012 में होने वाले ओलिम्पिक खेलों में भाग लेना चाहते हैं।
पेस ने कहा कि लंदन ओलिम्पिक के समय मैं 39 वर्ष का रहूँगा। यहाँ ऐसे बहुत से युगल खिलाड़ी हैं जो 40 या उससे ज्यादा की उम्र में खेल रहे हैं। ऐसे में अगर मैं फिट रहा तो मैं निश्चित तौर पर खेलना चाहूँगा।
हालाँकि ओलिम्पिक में पेस के जोड़ीदार महेश भूपति अगले ओलिम्पिक में खेलने को लेकर पसोपेश में हैं। उन्होंने कहा कि अगले चार वर्ष की योजना अभी ही बना लेना मुश्किल है। मुझे यही पता नहीं है कि मैं अगले वर्ष क्या करने जा रहा हूँ। तो ऐसे मैं 2012 के ओलिम्पिक के बारे में कैसे कह सकता हूँ।
फेडरर और वावरिंका के हाथों युगल मुकाबले के क्वार्टरफाइनल में हारने से निराश पेस और भूपति ने कहा कि हम तो बस यही कह सकते हैं कि देश की आजादी के दिन हम जीत नहीं सके। हमारे देशवासी भी इससे दुखी होंगे। हमने पूरी क्षमता के साथ खेलने की कोशिश की।
पेस ने कहा कि यह हार हमें खलेगी। क्योंकि हम अपने लक्ष्य के बेहद करीब आ चुके थे। हमने इसके लिए काफी मेहनत की थी। उन्होंने कहा कि देश के लिए खेलना ही अपने आप में काफी होता है। मैं यहाँ पदक जीतना चाहता था। अगर ऐसा हो जाता तो इससे देश में इस खेल को बहुत बढ़ावा मिलता।
उन्होंने कहा कि हाँ, ड्रॉ कठिन जरूर था, लेकिन इतना भी नहीं। हम दो मैच जीत चुके थे। उन मैचों में हमने शानदार टेनिस खेली थी, लेकिन आज हमे फेडरर से भिड़ना पड़ा। हार कचोटने वाली रही। भूपति ने भी पेस की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि हम बहुत निराश हैं।
हालाँकि पेस और भूपति ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा जताई। भूपति ने कहा कि अगला राष्ट्रमंडल खेल भारत में होने जा रहा है, जो हमारे लिए अच्छा रहेगा। जब कभी हम अपने देश के लिए खेले हैं, अपना सब कुछ झोंक दिया है।