चित्रकूट में श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण

- सुखेन्द्र मिश्र
ND

छत्तीसगढ़ के धमतरी में स्थित राम लक्ष्मण मंदिर। ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण श्री राम ने किया था। और महाराष्ट्र के जालना स्थित सीता नहानी। ऐसा कहा जाता है कि माता सीता ने यहाँ स्नान किया था।

भगवान श्रीराम गमन पथ और उनके जीवन से जु़ड़े प्रमाणों को जुटाने और रहस्यों को जानने के लिए हरियाणा के देरैली गाँव के डॉ. राम अवतार शर्मा ने 31 साल में 21 देशों की यात्रा कर प्रमाण जुटाए। उनका कहना है कि भगवान राम के जहाँ-जहाँ चरण पड़े वे वहाँ पहुँचे। इन दुर्लभ प्रमाणों को सहेजने के लिए उन्होंने भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में संग्रहालय स्थापित किया है, जिसका शुभारंभ 20 जून को किया गया।

लगातार 31 साल तक राम पथ गमन की खोज करने वाले 61 वर्षीय डॉ. शर्मा बताते हैं कि उन्होंने 30 साल की उम्र में भगवान राम के जीवन के बारे में जानकारी एकत्र करने का संकल्प लिया था। उन्होंने अकेले पहाड़, घनघोर जंगलों में राम वन गमन पथ की खोज की। इसके लिए 21 देशों की यात्रा भी की है।

ND
डॉ. शर्मा ने बताया कि यात्रा के दौरान कई बार उन्हें मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन हार नहीं मानी। इस बीच उन्होंने दिल्ली से इलाहाबाद तक का सफर स्कूटर और मप्र से बिहार तक का सफर साइकिल से तय किया। इस दौरान वे कई जंगलों में भटके, लेकिन अदृश्य शक्तियों ने उन्हें राह दिखाई।

अद्वितीय सिद्धा पहाड़ : यात्रा के अनुभव बताते हुए डॉ. शर्मा ने बताया कि पूरी यात्रा में उन्हें जो सबसे ज्यादा अद्वितीय लगा, वह है सतना जिले के बिरसिंहपुर क्षेत्र स्थित सिद्धा पहा़ड़। यहाँ पर भगवान श्रीराम ने निशाचरों का नाश करने पहली बार प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने कहा कि आज समाज इसे भले ही मानने से इनकार कर रहा है, लेकिन यह वहीं पहाड़ है, जिसका वर्णन रामायण में किया गया है।

50 देशों में होती है श्रीराम की पूजा : डॉ. शर्मा ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के लगभग 50 देशों में होती है। विदेशों में रहने वाले भारतीय श्रीराम को जहां भगवान मानते हैं, वहीं विदेशियों में श्री राम की छवि एक आदर्श राजा की है। डॉ. राम अवतार शर्मा ने भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े 290 चित्र लिए हैं, जो उन्होंने चित्रकूट में स्थापित संग्रहालय में रखे हैं।

वेबदुनिया पर पढ़ें