भारत ने अपना रिकॉर्ड सुधारा

- बीजी जोश
कनाडा के खिलाफ सात हॉकी टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 6-0 की जीत से भारतीय खिलाड़ियों के हौसले बुलंद अवश्य हुए होंगे। हॉकी में दो विपरीत ध्रुव हैं भारत और कनाडा।

ग्रीष्मकालीन ओलिम्पिक खेलों की फील्ड हॉकी में भारत ने 8 स्वर्ण पदक जीते हैं तो कनाडा ने शीतकालीन ओलिम्पिक की आइस हॉकी में 7 स्वर्ण। विश्व रैंकिंग में अमेरिकी महाद्वीप का यह चैंपियन 11वें क्रम पर है जबकि एशिया में पाँचवें स्थान वाला भारत 12वें स्थान पर।

दोनों ही टीमों के लिए यह श्रृंखला नई दिल्ली में मार्च 2010 में होने वाले विश्व कप की तैयारी के हिसाब से महत्वपूर्ण थी। दोस्ताना श्रृंखलाओं में युवा खिलाड़ियों को आजमाया जाता है और भारत की ओर से इस बार नवोदित आमिर खान, स्वर्णजीत सिंह, गुरविंदर चांडी, दानिश मुज्तबा व धनंजय महाडिक ने टोटल हॉकी की नई शैली में उम्दा प्रदर्शन किया।

अटलांटा ओलिम्पिक (1996) के क्वालीफायर (बार्सिलोना, जनवरी 1996) में भारत-मलेशिया मैच में तथाकथित फिक्सिंग पर कैनेडियाई विरोध ने दोनों राष्ट्रों के बीच कटुता बढ़ाई थी, लेकिन इस श्रृंखला से संबंध अवश्य कुछ सुधरेंगे। भारतीय कोच जोस ब्रासा का दावा है कि भारतीय टीम 2010 में होने जा रहे विश्व कप/एशियाई खेल/राष्ट्रकुल खेल में से दो खिताब अवश्य जीतेगी। कनाडा के खिलाफ मिली जीत ने कोच के विश्वास को अवश्य बढ़ाया होगा।

* इस श्रृंखला में भारत की तरफ से बनाए गए 21 गोलों में संदीप सिंह ने 7 तथा शिवेंद्र सिंह ने 3 गोल दागे। धनंजय महाडिक, तुषार खांडेकर ने 2-2 तथा आमिर खान, स्वर्णजीत सिंह, गुरविंदर चांडी, दानिश मुज्तबा, विक्रम पिल्लै, राजपाल सिंह तथा प्रभजोत सिंह ने 1-1 गोल बनाए।

* इस श्रृंखला के पूर्व भारत का कनाडा के खिलाफ जीत-हार का रिकॉर्ड 16-7 जो अब सुधरकर 22-7 हो गया है। इन दोनों देशों के बीच अब तक कुल 32 मैच खेले गए हैं जिनमें से भारत ने 22 तथा कनाडा ने 7 मैच जीते हैं। तीन मुकाबले अनिर्णीत रहे हैं।

* यह भारत की परदेस में 75वीं श्रृंखला थी। भारत ने इनमें से 48 श्रृंखलाएँ जीतीं, 15 हारीं तथा 12 श्रृंखलाएँ बराबरी पर छूटीं। भारत ने अभी तक 29 देशों के खिलाफ कुल 123 टेस्ट श्रृंखलाएँ खेलीं जिनमें से 79 जीतीं, २८ हारीं तथा 16 बराबर रहीं। इन श्रृंखलाओं में भारत ने 424 मैच खेले, जिनमें से 241 जीते, 104 हारे जबकि 79 मैच ड्रॉ रहे।

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