वसंत पंचमी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार वसंत पंचमी मां सरस्वती के आविर्भाव व विजय का दिन है।

वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि सरस्वती ने अपने चातुर्य से देवताओं को कुंभकर्ण से बचाया था। देवी वरदान प्राप्त करने के लिए राक्षसराज कुंभकर्ण ने करीब दस हजार वर्षों तक तपस्या की।

जब ब्रह्मा प्रसन्न हुए और वरदान के लिए आए तो सभी देव विचलित हो उठे। सभी ने कहा कि यह राक्षस योनि में है और वरदान प्राप्त होने के बाद उन्मत्त व संहारक हो जाएगा।

वरदान मांगते समय सरस्वती कुंभकर्ण की जिह्वा पर विराजमान हो गईं और कुंभकर्ण यह वर मांग बैठा कि 'स्वप्न वर्षाव्यनेकानि देव देव ममाप्सिनम', यानी मैं कई वर्षों तक सोता रहूं, यही मेरी इच्छा है।

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