कई कप्तानों के लिए बुरा रहा विश्वकप

शनिवार, 2 अप्रैल 2011 (18:23 IST)
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लगभग डेढ़ महीने तक चला विश्वकप अपने अंतिम पड़ाव तक पहुँच गया है लेकिन जहाँ कुछ टीमों के कप्तानों के लिए यह विश्वकप कई अच्छी यादें छोड़ जाएगा, वहीं कुछ कप्तान ऐसे भी हैं, जिनके लिए यह टूर्नामेंट किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा।

विश्वकप में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग, दक्षिण अफ्रीका के कप्तान ग्रीम स्मिथ, न्यूजीलैंड के कप्तान डेनियल विटोरी, पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरीदी और इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रास के लिए यह टूर्नामेंट बुरी यादें छोड़कर गया है।

19 फरवरी को भारत और बांग्लादेश के बीच विश्वकप का उद्घाटन मैच खेला गया और क्रिकेट विशेषज्ञों ने खिताब के लिए अलग-अलग टीमों को दावेदार बताते हुए इसे अब तक का सबसे 'खुला विश्वकप' बताया था, जिसमें कोई भी टीम खिताब जीत सकती है।

विश्व क्रिकेट को आज भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में होने वाले खिताबी मुकाबले में नया चैंपियन मिल जाएगा, लेकिन विश्वकप के इस इस सफर में कई टीमें ऐसी हैं जिनके कप्तान इसे कभी याद नहीं करना चाहेंगे।

इस सूची में सबसे पहला नाम आता है ऑस्ट्रेलियाके पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग का। पोंटिंग के लिए यह विश्वकप किसी डरावने सपने से कम नहीं रहा जिसके खत्म होने के बाद उन्हें अपनी कप्तानी से भी हाथ धोना पडा। एशेज सीरीज गंवाने के बाद आस्ट्रेलियाई कप्तान इस उम्मीद के साथ विश्वकप मैदान में उतरे थे कि लगातार चौथी बार ऑस्ट्रेलिया को विश्वकप जिताकर एशेज हार के दुख को भुला देंगे।

लेकिन अफसोस पोंटिंग जहाँ खुद भारत के खिलाफ आखिरी मैच में शतक को छोड़कर कुछ खास नहीं कर पाए वहीं उनकी टीम को भी क्वार्टर फाइनल में ही टीम इंडिया के हाथों शिकस्त झेलकर बाहर होना पड़ा। इस हार की चोट इतनी गहरी थी कि पोंटिंग को अपनी कप्तानी तक से हाथ धोना पड़ा।

दक्षिण अफ्रीकी कप्तान स्मिथ के लिए यह विश्वकप भी एक बार फिर निराशा छोड़कर गया। स्मिथ जब विश्वकप खिताब की जंग में उतरने के लिए भारतीय उपमहाद्वीप आए थे तो उनका दावा था कि उनकी टीम इस बार 'चोकर्स' का दाग धोकर इस बार ट्रॉफी पर जरूर कब्जा करेगी। लेकिन इस बार भी ऐसा नहीं हुआ। स्मिथ भी अपने बल्ले से कोई कमाल नहीं कर पाए और उनकी टीम न्यूजीलैंड के हाथों हारकर क्वार्टर फाइनल में ही विश्वकप की रेस से बाहर हो गई।

न्यूजीलैंड के कप्तान विटोरी भी इस विश्वकप को भुलाना चाहेंगे। वह इस बार भी अपनी टीम की किस्मत को बदलने में नाकामयाब रहे और उन्हें एक बार फिर खाली हार ही स्वदेश लौटना पडा। हालाँकि जब कीवी टीम टूर्नामेंट में उतरी थी तो उसके वनडे क्रिकेट के खराब रिकॉर्ड को देखते हुए किसी ने उसके सेमीफाइनल तक पहुँचने की उम्मीद नहीं की थी।

लेकिन कोच जॉन राइट के प्रशिक्षण में टीम ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया। मगर टीम के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी के कारण उसे श्रीलंका के हाथों हार का सामना करना पड़ा। खिताब से दो कदम दूर रहकर खाली हाथ लौटे विटोरी ने विश्वकप के बाद ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट से संन्यास लेने के साथ ही टीम की कप्तानी से भी इस्तीफा दे दिया।

इस सूची में अगला नाम आता है पाकिस्तानी कप्तान अफरीदी का। अफरीदी ने भले ही इस बार विश्वकप में अपनी गेंदों से प्रतिद्वंद्वी टीमों को खूब छकाया हो लेकिन बल्ले से उन्होंने टीम के लिए कुछ खास नहीं किया।

पाकिस्तानी कप्तान के लिए उससे भी बुरी बात यह रही कि उनकी टीम को अपने देश के प्रधानमंत्री के सामने चिर प्रतिद्वंद्वी भारतीय टीम के हाथों शिकस्त का सामना कर सेमीफाइनल से बाहर होना पडा। पाकिस्तानी टीम भारत के 261 के लक्ष्य का पीछा करने में नाकाम रही और उसे 29 रनों से हार का सामना करना पड़ा।

मोहाली में खेले गए सेमीफाइनल में शिकस्त झेलने के बाद पाकिस्तान लौटे आफरीदी संवाददाताओं के सामने अपने आँसू रोक नहीं पाए लेकिन उन्होंने अपने खेल और व्यवहार से क्रिकेटप्रेमियों का दिल जीत लिया और पाकिस्तान में उनका और उनकी टीम का एक हीरो की तरह स्वागत हुआ। लेकिन अफरीदी के मन में यह बात जरूर होगी कि यदि उनकी टीम भारत को हरा देती तो वे पाकिस्तानी टीम के आलोचकों को मुँह तोड़ जवाब दे देते।

इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रास का नाम भी उन्हीं कप्तानों की सूची में शामिल है, जिन्हें इस विश्वकप में बड़ा झटका लगा है। टीम को एशेज कलश जिताने वाले कप्तान स्ट्रास भी इंग्लैंड को खिताब नहीं जिता पाए।

हालाँकि ग्रुप चरण में स्ट्रास ने सहमेजबान भारत के खिलाफ 158 रनों की शानदार पारी खेली और उसे टाई खेलने पर मजबूर किया। लेकिन इस पारी को छोड़कर वह टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं कर पाए और क्वार्टर फाइनल में उनकी टीम को सहमेजबान श्रीलंका के हाथों 10 विकेट से करारी शिकस्त झेलकर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा। (वार्ता)

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