कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज परवीन हुड्डा को रहने के स्थान संबंधी नियम के उल्लंघन के कारण 22 महीने के लिए निलंबित किए जाने के बाद भारत का हांगझोउ एशियाई खेलों का पदक गंवाना तय है।परवीन ने पिछले साल एशियाई खेलों में महिलाओं के 57 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था जिससे उन्हें पेरिस ओलंपिक का कोटा भी मिला था।
हालांकि परिणाम प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एजेंसी अंतरराष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (आईटीए) ने उन्हें इस महीने की शुरुआत में निलंबित कर दिया गया था क्योंकि वह 12 महीने की अवधि के भीतर तीन बार अपने रहने के स्थान संबंधी जानकारी देने में विफल रही।
आईटीए ने बयान में कहा, आईटीए पुष्टि करता है कि मुक्केबाज परवीन हुड्डा को 12 महीने की अवधि के भीतर तीन बार रहने का स्थान संबंधी जानकारी मुहैया कराने में विफल रहने के बाद 22 महीने की अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है जैसा कि अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ के डोपिंग रोधी नियमों के नियम 2.4 में परिभाषित किया गया है (आईबीए एडीआर)1। यह निलंबन 16 जुलाई 2025 तक प्रभावी है।
बयान में कहा गया है, अयोग्यता की अवधि के अलावा 11 दिसंबर 2022 से 17 मई 2024 के बीच खिलाड़ी के परिणाम अयोग्य घोषित किए जाते हैं।
कोविड-19 के कारण चीन में 2022 एशियाई खेलों के आयोजन में एक साल की देरी हुई और 23 सितंबर से आठ अक्टूबर 2023 के बीच इसका आयोजन किया गया जो आईटीए द्वारा निर्धारित समय अवधि के भीतर आता है और इस प्रकार परवीन से उनका कांस्य पदक छीन लिया जाएगा।
इसका मतलब है कि 2023 एशियाई खेलों में भारत की कुल पदक संख्या 107 से घटकर 106 हो जाएगी। हालांकि इससे समग्र पदक रैंकिंग में देश के चौथे स्थान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
भारतीय मुक्केबाजी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा क्योंकि देश को महिलाओं के 57 किग्रा वर्ग का ओलंपिक कोटा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता जैस्मिन लैंबोरिया शुक्रवार से बैंकॉक में शुरू होने वाले अंतिम ओलंपिक क्वालीफायर में 57 किग्रा कोटा के लिए चुनौती पेश करेंगी।मुक्केबाजी में कोटा खिलाड़ी को नहीं, बल्कि देश को दिया जाता है।(भाषा)