2013 के ग्रहों की चाल, आकाशीय गणना व आकाशीय चुनाव का ज्योतिष कैलेंडर कहता है कि इस वर्ष के प्रारंभ में पराभव नाम का संवत्सर है। इस वर्ष के राजा गुरु व प्रधानमंत्री शनि हैं।
वैसे 5 मई 2013 को प्लवंग नाम का संवत्सर का प्रवेश होगा, परंतु यह पूरा वर्ष पराभव ही कहलाएगा। इस वर्ष के दस विभागों में चार शुभ ग्रहों के पास है एवं छ: विभाग उग्र ग्रहों के पास है।
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जन्म लग्न कुंडली में शनि एवं राहु की युति है, गुरु-चंद्र की युति है, सूर्य, मंगल, शुक्र व केतु एक साथ (पराक्रम-स्थान में) बैठे हैं। यह चतुग्रही योग बना रहे हैं।
1 जनवरी 2013 के दिन मंगलवार होने से एवं पूरे वर्ष शनि-राहु की युति होने से पूरा वर्ष संघर्ष, उथल-पुथल अर्थात् अशांतिवाला होगा।
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आर्थिक स्थिति में कई प्रकार के सुधार होने पर भी व्यापक कमी बनी रहेगी। पृथ्वी पर छुट-पुट घटना होती रहेगीं। पड़ोसी देश से शांति-समझौते की बात चलती रहेगी। कुछ सफलता भी मिलेगी। विज्ञान के क्षेत्र में नवीन अविष्कार होंगे एवं तकनीकी क्षेत्र में उन्नति होगी।
पाश्चात्य देश, उत्तरी एशिया एवं छोटे द्वीपों की स्थिति ठीक नहीं रहेगी। आकाशीय, भू-गर्भीय खोज में बढ़ोतरी होगी। इसी के साथ हड़ताल, उग्रता, राजनैतिक उथल-पुथल, नेताओं एवं प्रशासनिक व्यक्तियों को परेशानी आएगी।
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इस वर्ष में कुछ जगह वर्षा की कमी, सूखे की स्थिति, खण्ड-वृष्टि होने के योग के साथ कहीं-कहीं उत्तम वर्षा होने की भी संभावना है। इससे फसल में अच्छी वृद्धि होने के योग बनते हैं। कहीं-कहीं ओला, कोहरा एवं अधिक वर्षा से क्षति भी हो सकती है। भारत देश को भी इस समस्या का सामना करना पड़ेगा।
भारत में राजनैतिक उथल-पुथल के योग बनते हैं। साहस, पराक्रम, उत्साह एवं आपसी समझ से सफलता मिलेगी। शिक्षा जगत में उन्नति के साथ-साथ सुधार भी होगा। व्यापार, उद्योग में उन्नति होगी। आयात-निर्यात में कम वृद्धि होगी। वायु दुर्घटना, भूकंप, भू-स्खलन एवं समुद्र संबंधी उत्पाद होने की संभावना बनती है।
नवीन रोगों की वृद्धि से लोग त्रस्त रहेंगे। जनसाधारण की स्थिति सामान्य रहेगी। बड़े नेता आपस में तालमेल नहीं बिठा पाएंगे। किसी बड़े नेता के अभाव के योग भी बनते हैं। यह सब होते हुए भी विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।