मीन राशि वाले हष्ट-पुष्ट व उत्तम कद-काठी के होते हैं। ये ज्ञानवान होकर बड़ों का आदर करने वाले भी होते हैं। ये ईश्वर से डरने वाले भी होते हैं। इनका पारिवारिक जीवन उत्तम ही कहा जा सकता है। गुरु की उच्च स्थिति ज्योतिष कर्मकांड में सफलता का कारक होती है।
जनवरी
इस माह धन और शिक्षा के मामलों में यह बहुत ही प्रभावशाली समय रहेगा। व्यापार के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए बहुत ही अच्छा समय है। धन एक से अधिक स्रोतों से आएगा। नौकरी करने वालों के लिए भी प्रमोशन या मनचाही जगह स्थान परिवर्तन का योग है।
फरवरी
इस माह आय और व्यय में संतुलन रहेगा। सुदूर यात्रा का योग बन रहा है। शत्रुओं के कारण लाभ का योग बन रहा है फिर भी किसी विवाद में न पड़ने की सलाह है। केवल भाग्य के भरोसे न रहें और कोई आर्थिक जोखिम न उठाएं। जीवनसाथी से पारिवारिक कारणों से मतभेद उभर सकता है।
मार्च
इस माह सुख-सुविधा में वृद्धि होगी। विपरीत लिंगियों के प्रति आकर्षण रहेगा। उच्च अधिकारियों से संबंध बनेंगे। पिता से संबंध सुधारने का प्रयास करें। संतान से प्रसन्नता होगी। नए वाहन का योग भी बन रहा है। कुल मिलाकर समय अभी पक्ष में है, स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा।
अप्रैल
इस माह धन का आगमन सामान्य रहेगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि रहेगी। मन बहुत चंचल रहेगा। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भाग्य पक्ष थोड़ा कमजोर है, आर्थिक जोखिम न उठाएं और किसी नए कार्य में हाथ डालने से बचें। उच्च अधिकारियों या पिता के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।
मई
इस माह आपको अपने प्रयास, बुद्धि और मेहनत के बल पर बहुत धनलाभ होगा। पराक्रम खूब बढ़ेगा। जनसंपर्क तेज और सार्थक रहेगा। चारों ओर आपका प्रभाव बनेगा। नए कार्य प्रारंभ करने के लिए अच्छा समय है। शत्रु परास्त होंगे। भौतिक सुख-सुविधाओं में खूब वृद्धि होगी।
जून
इस माह जरा मन बेचैन रह सकता है। संतान से कुछ परेशानी हो सकती है, विशेषकर उसकी शिक्षा को लेकर। काम में मन नहीं लगेगा। अनावश्यक तनाव और भय महसूस हो सकता है। यात्राएं थकाने वाली होंगी और उसका कोई परिणाम भी जल्दी नहीं निकलेगा। पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है, स्वास्थ्य को लेकर भी सचेत रहें।
जुलाई
इस माह वैवाहिक जीवन के लिए सुखद समय नहीं है। जीवनसाथी के साथ मतभेद हो सकता है। पारिवारिक सुख में कमी रहेगी। यदि आपका कार्य साझेदारी में है तो प्रयास करें कि कोई मतभेद न हो अन्यथा बहुत हानि हो सकती है। स्थान परिवर्तन हो सकता है। नए कार्य में हाथ डालने के लिए बिलकुल ही उचित समय नहीं है। क्रोध और वाणी पर नियंत्रण रखें और बहुत सोच-समझकर ही कुछ बोलें।
अगस्त
इस मास समय थोड़ा प्रतिकूलता का रहेगा अतः धैर्य और संयम से काम लें। किसी भी कार्य में जल्दबाजी और आवेश नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि इस समय आपकी निर्णय लेने की शक्ति कमजोर रहेगी। जीवनसाथी के साथ संबंधों में बहुत कड़वाहट आ सकती है अतः विवादों से बचें और एक-दूसरे का सम्मान करें।
सितंबर
इस माह स्वपराक्रम में वृद्धि और आत्मविश्वास बढ़ेगा। शत्रु परास्त होंगे। धन का आगमन अच्छा रहेगा और घर का माहौल भी अपनी सूझ-बूझ से कुछ हद तक नियंत्रित करने में सफल होंगे। कुछ समय के लिए जीवनसाथी से संबंध सामान्य होने के आसार बन रहे हैं। रोग और ऋण से मुक्ति मिलेगी। यात्रा सफल होगी।
अक्टूबर
यह मास मिला-जुला फल देने वाला होगा। जहां शत्रुओं पर अपना प्रभाव और दबदबा कायम करने में सफल होंगे, वहीं घरेलू मामलों में थोड़ी निराशा हाथ लगेगी। पारिवारिक स्थिति और माहौल मन-मुताबिक नहीं रहेगा। राज्य संबंधी कार्यों, उच्च अधिकारियों से कार्य निकलवाने में सफल होंगे। यात्रा फलदायी होगी।
नवंबर
इस माह जीवनसाथी के साथ थोड़ा समय बिताएं और प्रयास करें कि आपके किसी व्यवहार के कारण उन्हें कोई मानसिक आघात न लगे। धनहानि का योग बन रहा है। गहरे पानी से दूरी बनाए रखें। शत्रु हावी हो सकते हैं। साझेदारी के कार्यों में नुकसान का योग बन रहा है, हो सकता है साझेदारी टूट जाए।
दिसंबर
इस माह मन और सोच में बहुत परिवर्तन रहेगा। पारिवारिक सुख में कमी, व्यापार में नुकसान, अचानक वाहन या किसी विवाद के कारण धनहानि संभव है। नए कार्य के लिए बिलकुल ही उपयुक्त समय नहीं है। बेहतर होगा कि जो पहले से कार्य कर रहे हैं, उसे ही संभालें।
मीन राशि वालों के लिए विशेष-
मीन राशि के जातकों के लिए पूरे वर्ष केतु प्रथम भाव में, राहु सप्तम में और शनि भाग्य स्थान अर्थात नवम भाव में रहेंगे। यदि दशा-अंतरदशा भी प्रतिकूल हो तो यह समय शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से थका देने वाला होगा। धैर्य और संयम सबसे बड़ा सहारा रहेगा।
कुछ उपाय करने से लाभ होगा-
1. राहु-केतु के प्रभाव से हानि हो रही हो तो शांति कराएं।
2. व्यापार में लगातार हानि हो रही हो तो विष्णु सहस्रनाम ऋण, शत्रु और रोग मुक्ति में अदभुत लाभदायक है।
3. गुरु की स्थिति कुंडली में अच्छी हो तो 7 रत्ती से ऊपर का पुखराज धारण करें। बहुत-सी समस्याओं से अकेले गुरु ही निकालने में सक्षम हैं।