इस वर्ष शनिदेव आपके दूसरे भाव में अपनी राशि में स्थित रहेंगे और वहीं बृहस्पति देव 30 मार्च को दूसरे भाव में प्रवेश करेंगे तथा 14 मई को वक्री होने के बाद 30 जून को पुन: धनु राशि में चले जाएंगे। यहां वे 20 नवंबर तक रहेंगे और फिर मकर राशि में लौट आएंगे। राहु का गोचर सितंबर के मध्य तक आपके सप्तम भाव में रहेगा और उसके बाद 6ठे भाव में आ जाएगा।
वर्ष के पूर्वार्ध में यात्रियों के लिए स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है लेकिन मध्य भाग में कुछ अच्छा रहेगा तथा सितंबर के बाद स्थितियां विदेश यात्रा के लिए भी काफी उपयुक्त होंगी। इस दौरान आप चाहेंगे तो आप अपने मनोवांछित स्थान पर स्थानांतरण भी पा सकते हैं। इस वर्ष आप कुछ ऐसे कार्य भी करेंगे, जो समाज के हित में होंगे और आप परोपकारी भी बनेंगे।
आप किसी को परेशानी में देखकर उसकी सहायता करने का प्रयास करेंगे और सद्भाव तथा शांति कायम करने का प्रयास करेंगे। किसी नए अनुबंध को सोच-समझकर ही अपनाएं। स्वयं के अहंकार पर नियंत्रण पाना आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि यदि आप इसमें असफल रहे तो अनेक मौके गंवा बैठेंगे। कुछ कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन यह आपके जीवन चक्र को और बेहतर बनाने में आपकी सहायता करेंगे।