पिरामिड क्या होते हैं, भारत में क्यों नहीं बनते...
आज से लगभग 5,000 वर्ष पूर्व जब मिस्र में पिरामिडों का निर्माण हुआ, तब भारत मे सर्वत्र विशालकाल तुंग वृक्षों वाले वन थे तथा तत्कालीन भारत की जलवायु पूर्णत: संतुलित, उत्तम तथा आरोग्यप्रद थी।
इस कारण भारत में पिरामिड बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। इसके विपरीत मिस्र के गर्म रेगिस्तान में वृक्षावली तथा जल के अभाव की स्थिति में पिरामिड बनाने के अलावा कोई चारा ही नहीं था।
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कैसे होते हैं पिरामिड....
* इनका फर्श तो चौकोर होता है, परंतु ऊपरी भाग (छत) त्रिकोण तथा नोकदार होती है।
* पिरामिडों की ऊंचाई 400 से 500 फुट होती है।
* इनकी दीवारें ढालू होती हैं।
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* इनका ऊपरी भाग पर्वत के शिखरों जैसा होता है।
* यह रेत की आंधी में दब नहीं पाते।
* पिरामिडों में रखे खाद्य पदार्थ कभी विकृत नहीं होते।
* पिरामिडों की कुल ऊंचाई की ऊंचाई पर रखे शव (ममी) आज तक अविकृत हैं।
* पिरामिड में प्रकाश, जलवायु तथा ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रूप में रहता है।
* प्राचीन मिस्री सम्राट अखातून का नाम संस्कृत में अक्षय्यनूत का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है शरीर अक्षय्य तथा नित नया रहता है। इस प्रकार पिरामिड विद्या अमरता की विद्या है।