भादौ शुक्ल तृतीया और चतुर्थी को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ पंचांग में तीज के दिन ही चतुर्थी भी दर्शाई जा रही है, वहीं कुछ में अलग-अलग दिन हैं। भादौ मास में आने वाली हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी एक ही दिन आने से महिलाओं में संशय है कि वे हरतालिका तीज का उपवास रखें या लड्डू-बाफले बनाकर गणपति बप्पा का जन्मोत्सव मनाएँ। इस संबंध में ज्योतिषियों से चर्चा की तो कुछ इस तरह के तथ्य सामने आए।
10 सितंबर शुक्रवार को हस्त नक्षत्रयुक्त तृतीया द्वितीया के साथ आ रही है इसलिए हरतालिका तीज शुक्रवार को मनाई जाए। 11 सितंबर, शनिवार को सिद्धविनायक चतुर्थी है अतः इस दिन गणेश चतुर्थी होगी वहीं 12 सितंबर, रविवार को ऋषि पंचमी मनेगी। अवंतिका पंचांग में इसका वर्णन है। -पं. श्यामनारायण व्यास, ज्योतिषाचार्य
11 सितंबर, शनिवार को हरतालिका तीज तथा गणेश चतुर्थी दोनों ही हैं, क्योंकि तृतीया उदयकाल में मनाई जाती है वहीं गणेश जन्मोत्सव मध्याह्न काल में होता है। चूँकि शनिवार को उद्यातकाल में तृतीया और मध्याह्न में चतुर्थी रहेगी, इसलिए दोनों ही इसी दिन मनाए जाएँगे। ऋषि पंचमी रविवार को है। नारायण विजय पंचांग में इसका उल्लेख है। -पं.आनंदशंकर व्यास, ज्योतिषाचार्य
धर्मशास्त्रों के अनुसार हस्त नक्षत्रयुक्त तृतीया को ही हरतालिका तीज मनाई जाती है। तृतीया का स्पर्शकाल हस्त नक्षत्र में 10 सितंबर, शुक्रवार को है। 11 सितंबर, शनिवार को भाद्र शुक्ल चतुर्थी पर गणेश की पार्थिव स्थापना का विनायकी क्रम है अर्थात यह विनायकी चतुर्थी कहलाती है। -पं. अमर डिब्बावाला, ज्योतिषाचार्य