केदारनाथ तीर्थयात्रा हादसे में हजारों लोग लापता है। हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर अपनी संवेदनाएं प्रकट कर रहा है। उनके लिए प्रार्थना और पूजा कर रहा है। शास्त्रों में कुछ उपाय वर्णित है गुमशुदा परिजनों को तलाशने के लिए। हम सभी गुमशुदा व्यक्तियों के परिजनों के लिए कुछ उपायों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं। यह उपाय कितने असरकारी हैं यह हम नहीं जानते लेकिन जानकार तंत्र विशेषज्ञ और अनुभवी बुजुर्गों की सलाह से इन्हें हम यहां सहायतार्थ प्रकाशित कर रहे हैं।
* गुमशुदा परिजन का पहना हुआ कोई कपड़ा सिलबट्टे के नीचे दबाकर रख दिया जाए और उस सिलबट्टे पर शुद्ध घी का दीपक लगाकर रखें तथा बार-बार सिल पर छोटे डंडे से वार करें। गुमशुदा व्यक्ति अगर जीवित है तो अतिशीघ्र उनकी सलामती की सूचना मिलेगी। अगर वह किसी दुर्घटना का शिकार हुए हैं तब भी तीन दिन में सूचना मिलेगी।
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* भगवान हनुमान जी सीता को खोज कर लाए थे। अपने करीबी हनुमान मंदिर में सिंदूरी रंग से चिट्ठी लिख कर पैरों के पास चिपकाएं और मन्नत मानें कि अमुक व्यक्ति सकुशल घर लौटा तो सामर्थ्य के अनुसार चोला चढ़ाएगें। हनुमान जी को सीता मां के खोज कर लाने की दुहाई दें और पत्र में साफ-साफ सबकुछ भावुकता के साथ लिखें। व्यक्ति का पूरा नाम पता, उम्र और पत्र लिखने वाले का गुमशुदा के साथ संबंध का जिक्र भी करें। ध्यान रहे कि वह पत्र चिपकाते हुए कोई आपको देखे नहीं। चिपकाने के बाद मंदिर की तरफ पलटे नहीं। घर आकर हाथ मुंह धोकर बजरंग बाण का पाठ करें।
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* कार्तविर्यार्जुन राजा जो हैहय वंश के थे तथा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के अवतार माने जाते हैं, इनकी साधना करने से इस प्रकार की समस्या से मुक्ति मिल जाती है। सुदर्शन चक्र के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि वह किसी भी दिशा अथवा किसी भी लोक में जाकर वांछित सामग्री खोज लाने में सक्षम है। उनकी साधना के लिए दीपक लगाकर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। अपनी गुम व्यक्ति की कामना को उच्चारण कर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्रधारी रूप का ध्यान करें। चक्र को रक्त वर्ण में ध्याएं एवं इस मंत्र का विश्वासपूर्वक जप करें।
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मंत्र :- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
* अचानक आए हुए संकट को दूर करने हेतु मां दुर्गा से प्रार्थना करें-
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"ॐ इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति।
तदा तदावतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम् ॐ।।
(इस मंत्र का 21 बार पाठ करें।)
* रक्षा पाने के लिए-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
अर्थ :- देवि! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें।