‘ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्र्म’
इसका मतलब यह हुआ कि ग्रह (ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि) और समय का ज्ञान कराने वाले विज्ञान को ज्योतिष अर्थात ज्योति प्रदान करने वाला विज्ञान कहते हैं। एक तरह से यह रास्ता बतलाने वाला शास्त्र है। जिस शास्त्र से संसार का ज्ञान, जीवन-मरण का रहस्य और जीवन के सुख-दुःख के संबंध में ज्योति दिखाई दे वही ज्योतिष शास्त्र है। इस अर्थ में वह खगोल से ज्यादाअध्यात्म और दर्शनशास्त्र के करीब बैठता है।
1. पाराशर मुनि : वृहद पाराशर, होरा शास्त्र
2. वराह मिहिर : वृहद संहिता, वृहत्जातक, लघुजातक