2. धर्म भीतरी जगत का विज्ञान है तो ज्योतिष बाहरी जगत का विज्ञान है।
3. धर्म स्वयं की खोज है तो ज्योतिष जीवन की खोज है।
5. धर्म स्पष्ट मार्ग बताता है जबकि ज्योतिष भविष्य बताता है।
6. ज्योतिष के इतिहास को जानने वाले मानते हैं कि धर्म की उत्पत्ति के पूर्व ज्योतिष था। ज्योतिष ही प्राचीनकाल का धर्म हुआ करता था। मानव ने ग्रहों और नक्षत्रों की शक्तियों को पहचाना और उनकी प्रार्थना एवं पूजा करना शुरू किया। जबकि धर्म को जानने वाले मानते हैं कि धर्म की उत्पत्ति के बाद ज्योतिष जन्मा।
7. धर्म से तय होता है कि यज्ञ, पूजा, व्रत, उपवास करना, उत्तम भोजन करना और ध्यान करना चाहिए जबकि ज्योतिेष बताता है कि यह कार्य कब और कैसे करना करना चाहिए। ज्योतिष के बगैर किसी भी प्रकार के मांगलिक व शुभ कार्य पूर्ण नहीं होते।
8. ज्योतिष को ग्रह-नक्षत्रों की चाल, सूर्य और चन्द्र के प्रभाव, दिन, पक्ष, मुहूर्त, लग्न, अयन, शुभ और अशुभ दिन आदि का साधन माना जाता है जबकि धर्म को साध्य।
धर्म और ज्योतिष : ज्योतिष को ग्रह, नक्षत्र, समय, लग्न, मुहूर्त, दिन, रात, तिथि, पक्ष, अयन, वर्ष, युग, अंतरिक्ष समय आदि को जानने की विद्या मानते हैं अर्थात बाहर के जगत को जानने की विद्या ज्योतिष है जबकि धर्म भीतर के जगत को जानने के साधन हैं। इसमें आत्मा-परमात्मा, यम-नियम, ध्यान, संध्यावंदन, भगवान, देवी-देवता, दान-पुण्य, तीर्थ, कर्म, संस्कार आदि की विवेचना की जाती है।