अधिक मास में आने वाली पंचमी, अष्टमी तथा एकादशी तिथि को बहुत अधिक खास माना गया हैं। अधिक मास में पूजा, साधना, आराधना से जुड़े धर्म-कर्म के कार्य किए जाते हैं। तथा अधिक मास की अष्टमी पर कालभैरव, शिव जी, श्रीहरि विष्णु, श्री गणेश और भगवान श्री कृष्ण तथा अपने इष्टदेव की आराधना करने का विशेष महत्व है। यह अष्टमी जब शनिवार को पड़ती है तो इसका महत्व बढ़ जाता है।