यह पौधा हैजा, बावासीर, किडनी के रोग, कुष्ठरोग, दस्त, जलोदर आदि में भी लाभदायक है। इस पौधे से सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जन्तु के काटे हुए को ठीक किया जा सकता है।
इसे संस्कृत में अपामार्ग, हिन्दी में चिरचिटा, लटजीरा और आंधीझाड़ा कहते हैं। अंग्रेजी में इसे रफ चेफ ट्री नाम से जाना जाता है। यह पौधा 1 से 3 फुट ऊंचा होता है और भारत में सब जगह घास के साथ अन्य पौधों की तरह पैदा होता है।
खेतों की बागड़ के पास, रास्तों के किनारे, झाड़ियों में इसे सरलता से पाया जा सकता है। शहरों के बाग-बगीचों के बाहर और खुली जगह में यह पौध आपको मिला जाएगा। हालांकि इसका उपयोग कैसे करें यह आपको किसी आयुर्वेद के विशेषज्ञ से ही पूछना होगा।