आषाढ़ मास में 5 ग्रहों का होगा परिवर्तन, 5 बुधवार का संयोग, जानिए 10 विशेष बातें
सोमवार, 20 जून 2022 (16:43 IST)
15 जून से आषाढ़ माह प्रारंभ हुआ है, जो गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ माह में 5 ग्रहों का होगा परिवर्तन। इस माह में 5 बुधवार का संयोग भी बन रहा है। जानिए इस माह की 10 खास बातें।
1. सूर्य (Surya gochar 2022) : सूर्य ग्रह 15 मई 2022 रविवार से वृषभ राशि में गोचर कर रहा है जो अब 15 जून, 2022 को शाम 12:19 बजे मिथुन राशि में गोचर करेगा। सूर्य का गोचर 15 जून 2022, बुधवार को दोपहर 11 बजकर 58 मिनट पर मिथुन राशि में होगा जहां वाह 16 जुलाई 2022, तक रहेगा और इसके बाद कर्क राशि में प्रवेश कर जाएगा।
2. मंगल (Mangal gochar 2022) : मंगल ग्रह 17 मई को 2022 की सुबह 9:52 बजे से मीन राशि में गोचर कर रहा है जो अब 27 जून, 2022 को सोमवार की सुबह 6:00 बजे मेष राशि में गोचर कर जाएगा जहां वह पूरे आषाढ़ माह रहेगा।
3. बुध (Budha gochar 2022) : बुध ग्रह 25 अप्रैल 2022 से वृषभ राशि में है। 10 मई को शाम 5:16 बजे इसी राशि में वक्री हुआ था। इसके बाद 13 मई, शुक्रवार को सुबह 12 बजकर 56 मिनट पर अस्त हो गए थे। 03 जून, शुक्रवार को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर मार्गी होंगे। फिर 02 जुलाई, शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 40 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। बुध एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश 23 दिनों कर करते हैं, लेकिन इस बार बुध एक ही राशि में करीब दो महीने तक रहेंगे।
4. शुक्र (Shukra gochar 2022) : शुक्र 23 मई, 2022 की शाम 8:39 बजे से ही मेष राशि में गोचर कर रहा है। अब वह 18 जून 2022 को शनिवार की सुबह 8 बजकर 6 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करेगा। इसके बाद 13 जुलाई को शुक्र मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएगा।
5. शनि (Shani gochar 2022) : शनि ग्रह 29 अप्रैल से ही कुंभ राशि में गोचर कर रहा है जहां रहकर अब वह 5 जून 2022 को वक्री होने जा रहे हैं। शनि कुंभ राशि में वक्री 5 जून 2022, शनिवार को सुबह 4:14 बजे होंगे। 12 जुलाई को वक्री शनि का मकर राशि में गोचर होगा।
5 बुधवार का संयोग : आषाढ़ माह में पहला बुधवार 15 जून को था, दूसरा 22 जून, तीसरा 29 जून, चौथा 6 जून और पांचवां 13 जुलाई को रहेगा। एक ही माह में 5 बुधवार का संयोग या किसी अन्य वार का संयोग दुर्लभ माना जाता है।
March 2022 planetary change
आषाढ़ माह की 10 खास बातें:
1. किसानों का माह : आषाढ़ माह से ही वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत मानी जाती है। कृषि के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
2. स्वच्छ जल ही पिएं : आषाढ़ माह में पौराणिक मान्यता के अनुसार इस माह में जल में जंतुओं की उत्पत्ति बढ़ जाती है अत: इस माह में जल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
3. सेहत का रखें ध्यान : आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मास ही नहीं बल्की अगले तीन माह तक सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं।
4. विष्णु उपासना और दान : आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है।
5. सो जाते हैं देव : इसी माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं।
6. चतुर्मास का माह : आषाढ़ माह से ही चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत समाज एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप करते हैं।
7. कामनापूर्ति का माह : इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है। इस माह में जो भी कामना की जाती है उसकी पूर्ति हो जाती है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है।वर्ष के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है।
8. गुप्त नवरात्रि का माह : वर्ष में चार नवरात्रि आती है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ माह में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए 'गुप्त नवरात्रि' होती है।
9. मंगल और सूर्य की पूजा : इस माह में विष्णुजी के साथ ही जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है और मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है। इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है।
10. गुरु पूर्णिमा का महत्व : आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।