अगर आपका बेटा या बेटी सर्वगुण संपन्न हैं फिर भी उनकी शादी नहीं हो पा रही है तो इसका कारण हो सकता है कुंडली में ग्रहों का दोष।
अक्सर ऐसा होता है कि हर तरह से योग्य होते हुए भी संतान की शादी नहीं हो पाती है। अगर कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी न हो या बृहस्पति की स्थिति अच्छी न हो कुंडली में तो ऐसा होता है कि चाहकर भी वे शादी-विवाह से वंचित रह जाते हैं।
इसका कारण और निवारण इस प्रकार है-
1. अगर किसी का बृहस्पति वृषभ लग्न का होकर लग्न में बैठ जाए और चन्द्रमा नीच का होकर सप्तम भाव में बैठ जाए और लग्नेश छठे भाव में राहु या सूर्य के साथ बैठ जाए तो शादी बहुत विलंब से होती है।
निवारण : ऐसे जातक को लग्नेश का रत्न धारण करना चाहिए और सप्तमेश के देवता की पूजा करनी चाहिए या ऐसे जातक सदैव मां दुर्गा की पूजा-स्तुति करें और अपने माता की सेवा करें और उनका कहा मानें।
2. अगर किसी भी जातक की कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी अपने भाव से अष्टम बैठ जाएं या राहु और सूर्य की स्थिति सप्तम भाव में हो तो शादी में बहुत अड़चन आती हैं।
निवारण : इस स्थिति में भगवान सूर्य की पूजा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और नित्य मस्तक पर लाल तिलक धारण करना चाहिए।
3. अगर किसी की कुंडली में पितृदोष हो या नवम भाव में राहु, सूर्य और बृहस्पति की युति हो तो ऐसे जातक की शादी में बहुत अड़चनें आती हैं और शादी हो भी जाए तो उसके बाद भी अड़चनें आती हैं।
निवारण : ऐसे जातक को हमेशा भगवान शिव पर दूध से अभिषेक करना चाहिए और गुरु मंत्र लेकर उस मंत्र का जाप अवश्य करें।
4. कुंडली में अगर शुक्र मीन राशि के होकर बुध के साथ सप्तम भाव में बैठे हों और अष्टम भाव में शनि हो तो ऐसे जातक की शादी हमेशा टूटती रहती है और कई बार देखा गया है कि ऐसा जातक कुंआरा भी रह जाता है।
निवारण : ऐसे जातक को हमेशा भगवान गणपति की स्तुति कर हीरा और पन्ना धारण करना चाहिए और वे हमेशा स्त्रियों के प्रति आदरभाव की भावना रखें।
5. कुंडली में राहु, बृहस्पति और शनि का योग लग्न में हो जाए तो शादी में बहुत विलंब होता है और बहुत अड़चन भी आती हैं।
निवारण : ऐसे जातक को हमेशा अपने मां-बाप की मर्जी से शादी करनी चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से लाभ मिलता है और हल्दी का तिलक करना इनके लिए शुभकारी होता है।
6. कुंडली में लग्न में सूर्य अकेले बैठा तो और उस पर किसी अच्छे ग्रह की दृष्टि न हो तो भी शादी में अड़चन आती हैं।
निवारण : ऐसे जातक को नित्य सूर्य दर्शन करना चाहिए और वे सूर्य को जल दें। साथ ही साथ वे बद्रीनाथ जाकर उनको तुलसी की माला अर्पित कर ब्राह्मणों को दान दें। इससे लाभ होता है।
7. कुंडली में दूसरे भाव में राहु और बृहस्पति का योग और सप्तम भाव में सूर्य अकेले बैठे हों तो शादी नहीं होने देते हैं।
निवारण : ऐसे जातक को बृहस्पतिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीया सुबह के समय प्रज्वलित करना चाहिए और गाय की सेवा करनी चाहिए।
इनके अतिरिक्त जिनकी कुंडली नहीं है या नहीं मालूम है, ऐसे लोगों को शादी-विवाह में अड़चन आ रही हो तो एक सामान्य उपाय अवश्य करें।
निवारण : हमेशा आप भगवान शिव पर गंगा जल, दूध, घी, शहद और केसर की दाल और बेलपत्र चढ़ाएं और अपने घर में किसी भी योग्य विद्वान से मिलकर भोजपत्र पर कात्यायनी यंत्र बनवाकर अपने घर में रखें और नित्य उसकी पूजा कर माथे पर केसर और हल्दी का तिलक लगाएं। शादी से संबंधित समस्या समाप्त होगी।
ऐसे जातकों को नित्य अपने घर में घी का दिया प्रज्वलित करना चाहिए और अगर कुंडली है तो योग्य ज्योतिषी को कुंडली दिखाकर उचित उपाय करवाया जा सकता है।