- एक मुहूर्त दो घटी अर्थात् 48 मिनट का होता है।
- प्रतिदिन सूर्योदय से 03 मुहूर्त अर्थात 02 घंटे 24 मि. का प्रात:काल, तत्पश्चात् 03 मुहूर्त का संगवकाल, अगले 03 तीन मुहूर्त का अपराह्न काल, उसके बाद 03 मुहूर्त का मध्याह्न काल और अंत के 03 मुहूर्त का सायंकाल होता है।
- शास्त्रानुसार पूर्वाह्न (प्रात:काल+संगवकाल) देवताओं का, अपराह्न काल पितरों का, मध्याह्न काल मनुष्यों का एवं सायंकाल राक्षसों का होता है। अत: इसी समयानुसार विशेष मुहूर्त की अवधि में श्रद्धालुओं के लिए पूजा-पाठ एवं दान इत्यादि करना श्रेयस्कर रहता है।