गुरु का राशि परिवर्तन, जानिए आप पर क्या होगा असर...

12 सितंबर 2017 से  गुरु  ने  राशि बदल कर तुला राशि में प्रवेश कर लिया हैं। यहां वे 12 अक्टूबर 2018 तक रहेंगे। गुरु का तुला राशि में राशि परिवर्तन आपकी राशि के लिए कितना शुभ होगा और किन राशियों के लिए प्रतिकूल होगा आइए जानें... 
 
*मेष (अनुकूल) : 
 
इस समय देवगुरु बृहस्पति आपकी राशि से सप्तम भाव में गोचर करेंगे और उनकी मंगलमय पंचम दृष्टि एकादश भाव में सप्तम दृष्टि लग्न में और नवम दृष्टि तृतीय भाव पर रहेगी। इस अवधि में जिनकी विवाह की उम्र हो गई है वे वैवाहिक सुख भोगेंगे। व्यापार या नौकरी इत्यादि के विषय में भी शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। यात्राओं का आनंद लेंगे। परिवार का पूर्ण साथ रहेगा। बहुत दिनों से अटकी हुई इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति होगी। अगर कोर्ट कचहरी में कोई मुकदमा चल रहा है तो उसमें सफलता प्राप्त करेंगे, विद्वानों से सम्पर्क बढेंगे।
 
*वृषभ(प्रतिकूल) : 
 
गुरु आपकी राशि से छठें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि दसवें, बारहवें, दूसरे घर पर है। इस अवधि में आपको थोड़े से लाभ के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ सकती है। नौकरी और व्यवसाय के हालात बदतर होते जाएंगे। स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें परेशान करेंगी। परिवारजनों से संबंध भी इस अवधि में अच्छे नहीं रहेंगे। विरोधी प्रबल होंगे। व्यर्थ की यात्राओं से बचें। वैसे मुकदमाबाजी और न्यायालयों के मामलों के लिए यह समय अच्छा है। अनावश्यक झगड़े और झंझटों से दूर रहने का प्रयत्न करें।
 
*मिथुन (अनुकूल) : 
 
गुरु आपकी राशि से पांचवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि नौवें, ग्यारहवें, पहले घर पर है। इस समय आप में आत्मविश्वास की पूर्णता रहेगी। तीक्ष्ण बुद्धि के द्वारा सभी काम सफलतापूर्वक निपटा लेंगे। सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। घर परिवार में शुभ कार्य का आयोजन होगा। प्रणय व प्रेम संबंधों के लिए अच्छा समय है। संतान से सुख और संतान सुख की प्राप्ति होगी। सामाजिक क्षेत्र बढ़ेगा। धार्मिक क्रिया कलापों से संबद्ध रहने की संभावना है। मित्र व हितैषी पूरा सहयोग देंगे।
 
*कर्क (अनुकूल) : 
 
गुरु आपकी राशि से चौथे घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि आठवें, दसवें, बारहवें घर पर है। इस अवधि में जीवन व्यापन सुविधा सम्पन्न रहेगा। पैतृक संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है। नए घर या वाहन की प्राप्ति संभव है। आप कोई नया व्यवसाय कर सकते हैं या व्यवसाय में पदोन्नति प्राप्त होगी। आकस्मिक लाभ प्राप्त करेंगे। किसी विशिष्ट व्यक्ति से संपर्क हो सकता है जो आपके लिए लाभकारी होगा। ख्याति और सम्मान बढ़ेगा। धर्म के प्रति आपकी रुचि बढ़ेगी और पवित्र स्थलों की यात्रा करेंगे। माता-पिता का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होगा। 
 
*सिंह (सामान्य): 
 
आपकी राशि से तीसरे घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि सातवें, नौवें, ग्यारहवें घर पर है। इस अवधि में सम्मान की प्राप्ति होगी। आत्मविश्वास बढा-चढ़ा रहेगा। आपका सामाजिक क्षेत्र बढ़ेगा। छोटी यात्राएं सफलदायक रहेंगी। पारिवारिक उत्थान के लिए आप कुछ महत्वपूर्ण कार्य करना चाहेंगे। अगर आप शादी शुदा हैं तो वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा। और अगर नहीं है तो विवाह होना निश्चित है। सहयोगियों और भागीदारों से खूब पटेगी। लेकिन मानसिक अशांति को लेकर आप डिस्टर्ब रह सकते हैं या किसी रोग से ग्रसित है तो उसने परेशानी हो सकती है।  
 
*कन्या (अनुकूल): 
 
गुरु आपकी राशि से दूसरे घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि छठें, आठवें, दसवें घर पर है। इस अवधि के दौरान आर्थिक लाभ प्राप्त करेंगे। पारिवारिक सुख भोगेंगे। आप जनप्रिय रहेंगे। अगर कोई मुकदमा चल रहा है तो उसमें आप की विजय संभव है। इस अवधि में आपका मनोरंजन के प्रति झुकाव रहेगा अपने रूचि के क्षेत्र में आप अच्छा काम करेंगे। साधारण तौर पर सब प्रकार का सुख भोगना सुनिश्चित है।
 
*तुला (अनुकूल): 
 
गुरु आपकी राशि में स्थित है। गुरु की दृष्टि पांचवें, सातवें, नौवें घर पर है। इस अवधि में मांगलिक कार्य संभव है चाहे शादी हो बच्चे हो या कोई शुभ समाचार इस दौरान आप काफी प्रसन्न रहेंगे। परिवार में कोई श्रेष्ठ संस्कार भी सम्पन्न होगा। आपकी आमदनी बढ़ेगी। पारिवारिक सुख प्राप्त करेंगे और धार्मिक यात्रा संभव है इस अवधि में दिमाग पूरी तरह चैतन्य और अनुकूल रहेगा।
 
*वृश्चिक(प्रतिकूल) : 
 
 गुरु आपकी राशि से बारहवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि चौथे, छठें, आठवें घर पर है। इस अवधि में किसी के प्रति आपसे संबंध मधुर नहीं होंगे। लोग आपके प्रति द्वेष भाव रखेंगे। आत्मविश्वास की कमी रहेगी फालतू के कामों में आप अपना समय और पैसा बर्बाद करेंगे। खर्चे बहुत होंगे। विरोधी आपके ऊपर हावी रहेंगे। यात्राएं लाभकारी नहीं रहेंगी अगर पहले से किसी रोग से पीड़ित हैं तो स्वास्थ्य का ध्यान रखें नहीं तो समस्या हो सकती है। पारिवारिक सुख भी कम प्राप्त होगा। किसी भी कार्य को करने से पूर्व अच्छी तरह सोच लें नहीं तो परिणाम विपरीत हो सकते हैं। 
 
*धनु (अनुकूल) : 
 
गुरु आपकी राशि से ग्यारहवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि तीसरे, पांचवें, सातवें घर पर है। इस अवधि मे आप काफी उत्साह से पूर्ण होंगे। यह समय बेहद अच्छा बीतेगा। विदेशियों या सुदूर स्थलों की यात्रा संभव है। भाई-बहन और मित्रों से लाभ संभव है। यदि आप किसी प्रतियोगिता परीक्षा में भाग ले रहें हैं तो अवश्य सफल होंगे। वैवाहिक और संतान सुख की प्राप्ति होगी
 
*मकर(अनुकूल) :  
 
गुरु आपकी राशि से दसवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि दूसरे, चौथे, छठें घर पर है। इस अवधि में नया व्यापार या व्यापार का विस्तार होगा और पद बढ़ेगा। किसी विशिष्ट व्यक्ति से संपर्क संभव है। व्यापार और नौकरी में आर्थिक लाभ। व्यवसाय संबंधित यात्रा संभव है। शत्रुओं पर विजय संभव है।  पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा।
 
*कुंभ(अनुकूल) :  
 
गुरु आपकी राशि से दसवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि दूसरे, चौथे, छठें घर पर है। इस वर्ष यह अवधि आपके लिए भाग्यशाली सिद्ध होगी। आप प्रचुर सफलता और सम्मान प्राप्त करेंगे। इस अवधि का उपयोग धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में करेंगे। कला के क्षेत्र विशेष रुचि होगी। अपने काम को पूरा करने के लिए आप में प्रचुर उत्साह और विश्वास रहेगा। परिवार का पूर्ण साथ रहेगा। लम्बी यात्रा सफल सिद्ध होगी। परिवार में नए सदस्य की वृद्धि होगी।
 
*मीन (प्रतिकूल) : 
 
गुरु आपकी राशि से आठवें घर में स्थित है। गुरु की दृष्टि बारहवें, दूसरे, चौथे घर पर है। इस अवधि में मानसिक चिन्ताओं से ग्रसित रहेंगे। पारिवारिक और वैवाहिक सुख में कमी रहेगी। लेकिन इस समय कोई नई चीज आपको प्राप्त हो सकती है। पेट संबंधी रोग या अन्य रोगों से ग्रसित हो सकते हैं।  आकस्मिक धन लाभ होने की भी संभावना है। लेकिन अचानक आर्थिक हानि की भी संभावना है। भाई, बहन, मित्र आदि के सुख में कमी रहेगी। असुरक्षा की भावना सदैव रहेगी।
: आचार्य पं भवानीशंकर वैदिक
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