गुरुवार के दिन ये 5 कार्य जरूर करना चाहिए, भाग्य खुल जाएगा
गुरुवार, 1 सितम्बर 2022 (01:34 IST)
रविवार और गुरुवार को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र वार माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार या गुरु ग्रह का संबंध महर्षि बृहस्पति और भगवान दत्तात्रेय से है परंतु लाल किताब के अनुसार भगवान ब्रह्मा इसके देवता हैं। रविवार की दिशा पूर्व है किंतु गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में सभी देवताओं का निवास है।
गुरु ग्रह और वार का महत्व : गुरुवार की प्रकृति क्षिप्र है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु ग्रह कर्क में उच्च का और मकर में नीच के होते हैं। बृहस्पति उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 में हो तो शुभ। गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। मानव जीवन पर बृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है। यह हर तरह की आपदा-विपदाओं से धरती और मानव की रक्षा करने वाला ग्रह है। बृहस्पति का साथ छोड़ना अर्थात आत्मा का शरीर छोड़ जाना है। गुरु ग्रह के कारण ही धरती का अस्तित्व बचा हुआ है। सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक माना गया है। गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ ही मांगलित कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि गुरु से ही मंगल होता है।
नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधि प्राप्त है। इनके शुत्र बुध, शुक्र और राहु है। कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है गुरु। लाल किताब के अनुसार चंद्रमा का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं मंगल का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति दोगुना बढ़ जाती है। सूर्य ग्रह के साथ से बृहस्पति की मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है।
करें ये 5 कार्य :
1. गुरुवार का व्रत करें : कुंडली में यदि बृस्पति कमजोर है, शुक्र, बुध या राहु के साथ है या किसी भी प्रकार से वह नीच हो रहा है तो जातक को गुरुवार का व्रत अवश्य करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है। उसी से आसानी से विवाह होता है और वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है। गुरु ही लंबी आयु भी प्रदान करता है। अत: गुरुवार करना जरूरी है। उथली व छिछली मानसिकता वाले व्यक्तियों को बृहस्पतिवार का उपवास अवश्य रखना चाहिए। यदि गुरु दशम भाव में है या किसी भी भी प्रकार से पितृदोष निर्मित हो रहा है तो जातक को गुरुवार अवश्य करना चाहिए साथ ही प्रतिदिन हनुमान चालीसा भी पढ़ना चाहिए। इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. मंदिर जाने और पूजा करने का वार : हिन्दू धर्म में गुरुवार को रविवार से भी श्रेष्ठ और पवित्र दिन माना गया है। यह धर्म का दिन होता है। इस दिन मंदिर जाना जरूरी होता है। गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही देवताओं का स्थान माना गया है। इस दिन सभी तरह के धार्मिक और मंगल कार्य से लाभ मिलता है अत: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है अत: सभी को प्रत्येक गुरुवार को मंदिर जाना चाहिए और पूजा, प्रार्थना या ध्यान करना चाहिए।
3. चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं : गुरुवार के दिन सफेद चंदन, केसर, हल्दी या गोरोचन का तिलक लगाना चाहिए जिससे गुरु का बल बढ़ता है। इस दिन केसर खाना और नाभि, कपाल और कान पर लगाना भी चाहिए। गुरुवार को केसर का तिलक लगाने से कुंडली में बृहस्पति के अच्छे प्रभाव मिलते हैं। कुंडली में बृहस्पति अच्छा है तो जीवन में सबकुछ अच्छा ही होगा।
4. गुग्गुल की धूप : गुरुवार को घर बें गुग्गुल की धूप, गुड़ घी की धूप या अन्य तरह की सुगंधित धूप देना चाहिए। इससे घर की नाकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अक्सर गुरुवार को इसकी धूप घर में दी जाती है। इस दिन धूप देने से गृह कलह, तनाव और अनिद्रा और किया कराया में लाभ तो मिलता ही है साथ ही दिल और दिमाग के दर्द में राहत मिलती है। सबसे बड़ी बात यह कि इस दिन धूप देने से पारलौकिक मदद मिलती है।
5. पीपल में जल चढ़ाएं : गुरुवार के दिन पीपल में जल जरूर अर्पित करना चाहिए। गुरुवार को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाने से जहां भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं वहीं पितृदोष भी मिट जाता है और पितृदेव आशीर्वाद देते हैं। गुरुवार को पापों का प्रायश्चित करने से पाप नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि यह दिन देवी-देवताओं और उनके गुरु बृहस्पति का दिन होता है।