विगत कुछ दिनों में पांच राज्यों में हुए चोटीकांड से पूरा देश स्तब्ध है। एक ओर जहां इन राज्यों की महिलाएं इस प्रकार निरंतर हो रही घटनाओं से दहशत में हैं वहीं दूसरी ओर अफ़वाहों का प्रचार-प्रसार भी द्रुतगति से हो रहा है। इन घटनाओं पर बुद्धिजीवियों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे कानून-व्यवस्था का मामला मान रहे हैं वहीं कुछ विद्वान इसे ऊपरी बाधा मानकर तन्त्र-शास्त्र से जोड़कर देख रहे हैं।
मैं उन सभी विद्वानों से अनुरोध करूंगा कि इस प्रकार की घटनाओं को तंत्र-शास्त्र से जोड़कर समाज को अंधविश्वास की ओर अग्रसर ना करें। तंत्र सत्य है और इसका क्षेत्र अति-व्यापक है लेकिन हर असामान्य घटना को तंत्र के साथ सम्बद्ध कर देना अनुचित है। तंत्र-शास्त्र में मारण,मोहन,वशीकरण इत्यादि अभिचार कर्म होते हैं जिनका प्रभाव भी पीड़ित पर पड़ता है लेकिन इस प्रकार के प्रयोग करने वाले कथित तन्त्र के जानकार वर्तमान में अत्यन्त सीमित मात्रा में हैं।
लेकिन आज तंत्र के नाम पर अंधविश्वास बहुतायत मात्रा में प्रचलित है। इन घटनाओं में तंत्र प्रयोग जैसी कोई भी बात अभी तक सामने नहीं आई है क्योंकि पीड़ित महिलाओं को भय व दहशत के अतिरिक्त कोई भी हानि नहीं हुई है। यह तथ्य ही अपने आप में इन घटनाओं को तान्त्रिक श्रेणी की घटनाओं से बाहर रखने के लिए पर्याप्त है। यदि इन घटनाओं का सम्बन्ध तन्त्र से होता तो पीड़ितों को हानि अवश्य होती। तन्त्र शास्त्र में मारण, मोहन, वशीकरण आदि के लिए प्रयोग किए जाते हैं लेकिन पांच राज्यों में हुई चोटी काटने की घटनाओं में इस प्रकार का कोई भी संकेत अभी तक दिखाई नहीं दिया है। अभी तक पीड़ित महिलाएं केवल भय व दहशत के कारण ही इन घटनाओं को ऊपरी बाधा मान रही हैं। वहीं कुछ तथाकथित तंत्र शास्त्र के जानकार भी उनके इस अंधविश्वास को समर्थन दे रहे हैं। ऐसा करना सर्वथा अनुचित है क्योंकि प्रथम दृष्ट्या ये घटनाएं केवल किसी असामाजिक तत्व का कुकृत्य नज़र आ रहीं हैं। इन्हें तंत्र शास्त्र से सम्बद्ध करना तंत्र शास्त्र की प्रतिष्ठा धूमिल करना है।