होलाष्टक 10 मार्च से प्रारंभ, करें ये 14 उपाय तो कर्ज मुक्त होकर मिलेगा अपार धन
शनिवार, 5 मार्च 2022 (11:48 IST)
Holashtak ke upay: इस वर्ष होलाष्टक 10 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है। यह फाल्गुन माह के अष्टमी से प्रारंभ होता है। मान्यता है कि होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। आओ जानते हैं कि होलाष्टक में कौनसे से ज्योतिष उपाय करना चाहिए जिससे की संकट मिटे और धन लाभ हो।
1. होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है।
2. होलाष्टक के दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है। इससे जीवन में चली आ रही परेशानी समाप्त हो जाती है।
3. होलाष्टक के दौरान श्रीकृष्ण की की पूजा के साथ ही इस दौरान लड्डू गोपाल का पूजन कर संतान गोपाल मंत्र का जाप या गोपाल सहस्त्र नाम पाठ करवा कर अंत में शुद्ध घी व मिश्री से हवन करेंगे तो शीघ्र संतान प्राप्ति होती है।
4. होलाष्टक के दौरान किए गए व्रत और दिए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
5. रोग से बचने के लिए शिव पूवा और महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान प्रारम्भ करवाएं, बाद में हवन करें।
6. विजय प्राप्ति हेतु आदित्यहृदय स्त्रोत, सुंदरकांड का पाठ या बगलामुखी मंत्र का जाप करें।
7. परिवार की समृद्धि, सुख शांति हेतु रामरक्षास्तोत्र, हनुमान चालीसा व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
8. अपार धन-संपदा के लिए गुड़, कनेर के पुष्प, हल्दी की गांठ व पीली सरसों से हवन करें।
9. करियर में चमकदार सफलता के लिए जौ, तिल व शकर से हवन करें।
10. कन्या के विवाह हेतु-कात्यायनी मंत्रों का इन दिनों जाप करें।
11. सौभाग्य की प्राप्ति के लिए चावल,घी, केसर से हवन करें।
12. बच्चों का पढाई में मन नहीं लग रहा है तो गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। फिर मोदक व दूर्वा से हवन करें।
13. नवग्रह की कृपा प्राप्ति हेतु भगवान शिव का पंचामृत अभिषेक करें।
14. होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
होलाष्टक 2021 में वर्जित कार्य :
1. विवाह करना
2. वाहन खरीदना
3. घर खरीदना
4. भूमि पूजन
5. गृहप्रवेश
6. 16 संस्कार
7. यज्ञ, हवन या होम
8. नया व्यापार शुरु करना
9. नए वस्त्र या कोई वस्तु खरीदना
10. यात्रा करना
होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि में एक दोष माना जाता है। विवाहिताओं को इस दौरान मायके में रहने की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से इस समय विवाह, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है। अर्थात् इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।