स्त्री जातकों की जन्म पत्रिका में गुरु की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। गुरु स्त्री जातकों के लिए पति का नैसर्गिक कारक होते हैं। स्त्री जातकों को पतिसुख प्राप्त होने में गुरु की विशेष भूमिका होती है। यदि किसी स्त्री जातक की कुंडली में गुरु अस्त, वक्री, निर्बल या अशुभ भावों में स्थित होते हैं तो उसे पतिसुख प्राप्त होने में बाधाएं आती हैं। गुरु बुद्धि व विवेक के भी प्रतिनिधि होते हैं। जन्म पत्रिका में सबल गुरु का होना विद्वता व बुद्धिमत्ता का द्योतक होता है।
गुरु धनु राशि में प्रवेश
29 मार्च, शुक्रवार को गुरु ने धनु राशि में प्रवेश कर लिया है। गत 1 वर्ष से गुरु वृश्चिक में राशि में स्थित थे। गुरु का यह गोचर स्त्री जातकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। स्त्री जातकों के विवाह में त्रिबल शुद्धि हेतु गुरुबल में गुरु का राशि परिवर्तन विशेष महत्व रखेगा।
शास्त्रानुसार त्रिबल शुद्धि में गुरु के 'अपूज्य' स्थिति में होने पर स्त्री जातक का विवाह वर्जित माना गया है, वहीं 'पूज्य' स्थानों में होने पर गुरु की शांति के उपरांत ही स्त्री जातक का विवाह करने का निर्देश है जिसे प्रचलित भाषा में 'पीली पूजा' कहा जाता है। कुछ विद्वान अत्यंत आवश्यक होने पर देश, काल व परिस्थिति अनुसार 'अपूज्य' स्थानों में होने पर भी 'पीली पूजा' अर्थात गुरु का शांति अनुष्ठान कर विवाह करने का परामर्श दे देते हैं।
किन राशि वाले जातकों के विवाह में बाधक बनेंगे गुरु?
जिन स्त्री जातकों की राशि से गुरु 'अपूज्य' स्थान अर्थात 4, 8, 12 में गोचर करेंगे, उन स्त्री जातकों का विवाह 1 वर्ष के लिए वर्जित रहेगा, वहीं जिन स्त्री जातकों की राशि से गुरु 'पूज्य' स्थान अर्थात 1, 3, 6, 10 में गोचर करेंगे उनका विवाह गुरु शांति अनुष्ठान (पीली पूजा) संपन्न करने के उपरांत हो सकेगा। शेष राशि वाले स्त्री जातकों के लिए गुरु शुभ रहेंगे। आइए, अब जानते हैं कि 29 मार्च 2019 से गुरु का गोचर किन राशियों की स्त्री जातकों के विवाह में बाधा बनेगा।
1. अपूज्य- वृषभ, कन्या, मकर, (विवाह वर्जित)
2. पूज्य- धनु, तुला, कर्क, मीन (गुरु की शांति के उपरांत विवाह)