क्या है अतिचारी होना : जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से तेज चलता है तो उसे अतिचारी कहते हैं। हालांकि ऐसा होता नहीं है वह ऐसा धरती से नजर आता है। गुरु एक राशि में करीब 1 साल तक रहते हैं। ऐसे में एक राशि में दोबारा आने में करीब 12 साल का वक्त लगता है। लेकिन इस बार गुरु 1 वर्ष से भी कम समय में वृषभ राशि में तेज गति से चलते हुए अगली राशि में वक्री गति करेंगे और पुन: वृषभ राशि में लौट आएंगे। ऐसा वे करीब 8 वर्षो तक करेंगे।
अतिचारी गति से क्या प्रभाव होगा:
1. मौसम में बदलाव: ज्योतिष के अनुसार 14 मई 2025 से गुरु के अतिचारी होने से धरती के मौसम में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेगा। बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा।
करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है। वर्ष 2019 से ही देश और दुनिया में तेजी से बदलाव हुआ है। कोरोना महामारी के बाद तो दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2025 में बदलाव का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। ज्योतिष की दृष्टि से 2025 से लेकर वर्ष 2029 तक का समय सबसे खतरनाक बताया जा रहा है। इसके बाद दुनिया में शांति स्थापित होगी।