हिंदू धर्म में हाथ पर मौली बांधने का काफी महत्व है। हर पूजा पाठ या किसी भी शुभ काम से पहले हाथ पर मौली बांधी जाती है, जिसे कलावा या रक्ष सूत्र भी कहते हैं। अक्सर हम हाथ पर बंधे कलावा को बदलने से पहले दिन नहीं देखते। हाथ पर बंधा कलावा अगर काफी पुराना हो जाता है तो उसे कभी भी बदल कर नया बांध लेते हैं, लेकिन इसे अशुभ माना जाता है।
- किसी भी धार्मिक कर्म कांड शुरू होने से पहले कलावा बांधा जाता है। वैसे मांगलिक कार्यक्रमों पर भी इसे बांधा जाता है। माना जाता है कि ये कलावा ही संकटों के समय हमारा रक्षा कवच बनता है, लेकिन इस कलावा को कभी भी नहीं बदलना चाहिए।
- कलावा को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए। वैसे कलावा भी दो तरह के होते हैं। तीन धागों वाला और पांच धागों वाला। तीन धागों वाले कलावा में लाल, पीला और हरा रंग होता है। वहीं पांच धागे वाले कलावे में लाल, पीरा व हरे रंगे के अलावा सफेद और नीले रंग का भी धागा होता है। पांच धागे वाले कलावा को पंचदेव कलावा भी कहते हैं।