प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को 'निर्जला एकादशी' व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 31 मई 2023 को मनाया जा रहा है। निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में श्रेष्ठ होती है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि इस व्रत को पांडवों में से एक भीमसेन ने निर्जल व निराहार रहकर किया था, जिससे उन्हें संपूर्ण वर्ष की एकादशी के व्रतों के समतुल्य फल मिला था।
समय- प्रात:काल
सामग्री- कलश, कांस्य पात्र, स्वर्ण/चांदी की गाय की प्रतिमा, गंगाजल/नर्मदाजल, सप्तधान्य, सर्वोषधि, श्वेत वस्त्र, स्वर्ण मोती/ चांदी का सिक्का, घी, दीपक, भगवान विष्णु प्रतिमा, नैवेद्य, फल, दूर्वा।
अब घी का दीपक प्रज्जवलित करें।
दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कामधेनु गाय (स्वर्ण/रजत प्रतिमा) की षोडषोपचार पूजन करें।