स्नान का महत्व ( Kartik Purnima Snan ) : देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दिवाली मानाते हैं। कार्तिक के पूरे माह में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और महत्व रहा है। इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए। खासकर पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है। श्रद्धालु लोग जहाँ यमुना में स्नान करने पहुंचते हैं वहीं गढ़गंगा, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र तथा पुष्कर आदि तीर्थों में स्नान करने के लिए जाते हैं। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
दीपदान ( Kartik Purnima Deepdan ) : मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं। इसीलिए दीपदान का बहुत ही महत्व है। कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।
1. संकट से मुक्ति : नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और अकाल मृत्यु नहीं होती है। यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से जातक बच जाता है। सभी तरह के अला-बला, गृहकलह और संकटों से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
2. कर्ज से मुक्ति : दीपदान करने से जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है।
3. पुनर्जन्म का कष्ट मिटता : कार्तिकी को संध्या के समय त्रिपुरोत्सव करके- 'कीटाः पतंगा मशकाश्च वृक्षे जले स्थले ये विचरन्ति जीवाः, दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवति तत्र' से दीपदान करें तो पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता। अपने मृतकों की सद्गति के लिए भी करते हैं दीपदान।