'ऋण योग' का विचार करने के लिए जन्मपत्रिका के तीन भावों का मुख्य रूप से विश्लेषण करना आवश्यक है- धन भाव, आय भाव एवं ऋण भाव। जन्मपत्रिका के द्वितीय भाव से धन,एकादश भाव से आय व षष्ठ भाव से ऋण का विचार किया जाता है। यदि किसी जन्मपत्रिका में निम्न ग्रह स्थितियां निर्मित होती हैं तो जातक को आर्थिक मामलों में अत्यन्त सावधानी रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये ग्रह योग जातक को ऋणी बना सकते हैं।
3. यदि धनेश के साथ षष्ठेश की युति हो व लाभेश व्यय भाव में हो व लग्नेश पीड़ित व निर्बल हो।
4. यदि लाभेश के साथ षष्ठेश की युति हो व धनेश व्यय भाव में स्थित हो व लग्नेश पीड़ित व निर्बल हो।
6. यदि लग्नेश व षष्ठेश की युति हो व धनेश व लाभेश अशुभ स्थानों में हो।
7. यदि लग्नेश, धनेश व लाभेश तीनों पाप ग्रहों के प्रभाव में हों।