कुंभ और मकर राशि वाले क्यों करें शनि की उपासना, जानिए 10 बड़े कारण

शनि ग्रह एक राशि में ढाई वर्ष रहता है। साल 2021 में ( shani transit 2021 in hindi ) वह एक राशि में पिछले साल से ही गोचर कर रहा है जिसके कारण चार राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। आओ जानते हैं कि कुंभ और मकर राशि वालों को क्यों करना चाहिए शनिदेव की उपासना।
 
 
1. कुंभ और मकर राशि का स्वामी शनि ग्रह है।
 
2. वर्तमान में मकर राशि में ही शनि ग्रह विराजमान है जो 29 अप्रैल साल 2022 तक रहेंगे।
 
3. धनु, मकर और कुंभ राशि पर साल 2021 में शनि की साढ़ेसाती (Shani Sade Sati) या ढैय्या (Dhaiya) रहेगी। वर्तमान में शनि ग्रह के मकर राशि में रहने के कारण वर्ष 2021 में धनु, मकर और कुंभ इन तीन राशियों पर साल 2021 में शनि की साढ़ेसाती (Shani Sade Sati) चल रही है जबकि मिथुन और कन्या पर ढैय्या (Dhaiya) चल रही है।
 
4. शनि 29 अप्रैल साल 2022 को मकर से निकलकर कुंभ में जाएंगे। शनि का कुंभ राशि में प्रवेश से मीन, कुंभ और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती तथा कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या लगेगी।
 
5. कहते हैं कि शनि की साढ़ेसाती के पहले चरण में शनि जातक की आर्थिक स्थिति पर, दूसरे चरण में पारिवारिक जीवन और तीसरे चरण में सेहत पर सबसे ज्‍यादा असर डालता है। ढाई-ढाई साल के इन 3 चरणों में से दूसरा चरण सबसे भारी पड़ता है। अत: कुंभ और मकर राशि वालों को शनिदेव की पूजा जरूर करना चाहिए।
 
6. कुंभ राशि के जातकों के लिए वर्ष 2021-22 कई संभावनाओं से भरा वर्ष होगा। इस वर्ष के प्रारंभ में आपको सेहत और कार्यक्षेत्र संबंधी कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। आप अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें, डॉक्टर से सलाह लें और कार्यक्षेत्र में जिम्मेदारी और गंभीरता कार्य करें।
 
7. मकर राशि में पहले ही शनिदेव विराजमान है। पिछले वर्ष 2020 की तुलना में यह वर्ष 2021 ज्यादा महत्वपूर्ण जा रहा है। आप अपने लक्ष्य पर ही फोकस रखेंगे तो सफल होने से आपको कोई नहीं रोक सकता। इसके परिणाम स्वरूप आप सामाजिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र या कार्यस्थल, सभी जगहों पर बेहद बुद्धिमानी और चतुराई के साथ आगे बढ़ने में सक्षम होंगे।
 
8. पृथ्वी तत्व प्रधान मकर राशि का स्वामी शनि है और इसके कारक ग्रह बुध, शुक्र और शनि माने गए हैं। भाग चर है और मकर लग्न की बाधक राशि वृश्चिक तथा बाधक ग्रह मंगल है। दशम भाव में मकर राशि मानी गई है जिसके शनि का पक्का घर 8 और 10 माना जाता है। 8 मौत का और 10 कर्म या कार्यक्षत्र का घर है। अत: शनिदेवी पूजा इनके लिए महत्वपूर्ण हो जाती है।
 
9. वायु तत्व प्रधान कुंभ राशि का स्वामी स्वामी शनि है और इसके कारक ग्रह गुरु, शुक्र और शनि माने गए हैं। भाग चर है और कुंभ लग्न की बाधक राशि सिंह तथा बाधक ग्रह सूर्य है। ग्यारवें भाव में कुंभ राशि मानी गई है जिसके शनि का पक्का घर 8 और 10 माना जाता है। अर्थात 8, 10 और 11 भाव को शनिदेव की संचालित करते हैं। 11वां भाव आय और लाभ का है। अत: शनिदेवी पूजा इनके लिए महत्वपूर्ण हो जाती है।
 
10. कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 24 जनवरी 2020 से शुरू हुई थी। इससे मुक्ति 3 जून 2027 को मिलेगी, परंतु शनि की महादशा से कुंभ राशि वालों को 23 फरवरी 2028 को शनि के मार्गी होने पर छुटकारा मिलेगा। वहीं मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती 26 जनवरी 2017 से शुरू हुई थी। यह 29 मार्च 2025 को समाप्त होगी।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी