बेटियों के सम्मान से ही प्रसन्न होगी माता लक्ष्मी
शक्तिस्वरूपा माता श्री महाकाली, महासरस्वती एवं श्री महालक्ष्मी के रूप में भक्तों का कल्याण करने वाली होती है। इन तीनों की प्रसन्नता से ही मनुष्य समस्त सुखों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
देवी भागवत के अनुसार जो नखों से तृण तोड़ता है, नखों से पृथ्वी को कुरेदता है, जो निराशावादी है, सूर्योदय के समय भोजन करता है, दिन में सोता है या भीगे पैर अथवा वस्त्रहीन सोता है, निरंतर व्यर्थ की बातें एवं परिहास करता है, अपने अंगों पर बाजा बजाता है, सिर में तेल लगाकर उन्हीं हाथों से अन्य अंगों को स्पर्श करता है, उसके घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है।
गरूड़ पुराण के अनुसार जिस घर में बर्तन बिखरे पड़े रहते हो, भोजन का निरादर होता है, स्त्री एवं माता-पिता का अपमान होता है, जहां हमेशा कलह होती हो, अस्वच्छ वस्त्रों को धारण करने वालों के यहां लक्ष्मी का वास नहीं होता, वह यदि इंद्र भी हो तो लक्ष्मी उसको छोड़कर चली जाती है।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार शाम को सोने वाला, स्त्रियों को तंग करने वाला, अशिष्ट दंपति के झगड़े वाले स्थानों पर लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी का वास होता है जो दरिद्रता प्रदान करने वाली होती है।
अक्ष्मी के पति का नाम दु:सह है अर्थात ऐसे व्यक्तियों को अपार दु:ख भी सहने पड़ते हैं।
जिस घर में स्त्रियों एवं बेटियों को सम्मान दिया जाता है, वहां समस्त देवियां सुखपूर्वक निवास करती हैं एवं भक्तों के समस्त मनोरथ को पूर्ण करती हैं।