15 जून 2021 मंगलवार को मिथुन संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। हिन्दू माह अनुसार ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मिथुन संक्रांति होगी। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। इनमें से 4 संक्रांति ही महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति प्रमुख हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। कर्क संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन होता है। तुला संक्रांति का कर्नाटक में खास महत्व है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। आओ जानते हैं सूर्य मिथुन संक्रांति के बारे में खास जानकारी।
मिथुन संक्रांति : सूर्य का मिथुन राशि में गोचर, 15 जून 2021 को सुबह 5:49 पर होगा और यह इस स्थिति में 16 जुलाई 2021, शाम 4:41 बजे तक रहेगा और इसके बाद यह कर्क राशि में प्रवेश कर जाएगा।
1. ओड़िसा में मिथुन संक्रांति का महत्व है। इस दिन भगवान सूर्य से अच्छी फसल के लिए बारिश की मनोकामना करते हैं।
2. 15 जून को सूर्य वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में जब प्रवेश करेंगे तो सभी नक्षत्रों में राशियों की दिशा भी बदल जाएगी। इस बदलाव को बड़ा माना जाता है। सूर्य जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में आते हैं तो बारिश की संभावना बनती है। रोहिणी से अब मृगशिरा में प्रवेश करेंगे।
3. मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं। मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे।
4. मिथु संक्रांति के बाद से ही वर्षा ऋतु की विधिवत रूप से शुरुआत हो जाती है।
5. इस दिन भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन स्नान और दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।
6. मिथुन संक्रांति को रज पर्व भी कहा जाता है। इस दिन कई जगहों पर व्रत भी रखा जाता है।
7. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सिलबट्टे को दूध और पानी से पहले स्नान कराकर उसकी पूजा की जाती है।
8. ज्योतिषियों के अनुसार मिथुन संक्रांति के दौरान वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसीलिए सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है।
9. सूर्य के मिथुन में प्रवेश करने के बाद अब एक माह तक सूर्य और शनि आपस में छठी और आठवीं राशि में रहेंगे, जिसे षडाष्टक योग कहते हैं। सूर्य और शनि आपस में शत्रु होने के कारण इस अशुभ योग के प्रभाव से देश की जनता और प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ेगा। अर्थव्यवस्था में भी उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।