Mithun Sankranti 2024 : मिथुन संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व

WD Feature Desk

मंगलवार, 28 मई 2024 (17:07 IST)
Mithun sankranti 2024 : सूर्यदेव 15 जून 2024 को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर को संक्रांति कहते हैं। मिथुन संक्रान्ति पुण्य काल- प्रात: 05:23 से दोपहर 12:22 तक रहेगा। मिथुन संक्रान्ति महापुण्य काल प्रात: 05:23 से प्रात: 07:43 तक रहेगा। आओ जानते हैं कि क्या है इस राशि का महत्व।
ALSO READ: Vrishabha Sankranti 2024: वृषभ संक्रांति की पूजा कैसे करते हैं?
मिथुन संक्रांति का महत्व :
  1. मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं। 
  2. इस बार मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे।
  3. ओड़िसा में मिथुन संक्रांति का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य से अच्‍छी फसल के लिए बारिश की मनोकामना करते हैं। 
  4. इस दिन से सभी नक्षत्रों में राशियों की दिशा भी बदल जाएगी। इस बदलाव को बड़ा माना जाता है। 
  5. सूर्य जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में आते हैं तो बारिश की संभावना बनती है। रोहिणी से अब मृगशिरा में प्रवेश करेंगे। 
  6. मिथुन संक्रांति के बाद से ही वर्षा ऋतु की विधिवत रूप से शुरुआत हो जाती है।
  7. मिथुन संक्रांति को रज पर्व भी कहा जाता है। 
  8. ज्योतिषियों के अनुसार मि‍थुन संक्रांति के दौरान वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसीलिए सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है।
मिथुन संक्रांति की पूजा विधि
ALSO READ: Mesh sankranti 2024: मेष संक्रांति के शुभ उपाय और पूजा विधि
मिथुन संक्रांति की कथा : प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान दिया है, इसी वरदान से मातृत्व का सुख मिलता है। मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार जिस तरह महिलाओं को मासिक धर्म होता है वैसे ही भूदेवी या धरती मां को शुरुआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था जिसको धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है। तीन दिनों तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती हैं वहीं चौथे दिन में भूदेवी जिसे सिलबट्टा भी कहते हैं उन्हें स्नान कराया जाता है। इस दिन धरती माता की पूजा की जाती है। उडीसा के जगन्नाथ मंदिर में आज भी भगवान विष्णु की पत्नी भूदेवी की चांदी की प्रतिमा विराजमान है।
ALSO READ: वर्ष 2024 की सभी 12 संक्रांतियों की तारीखों की लिस्ट

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी