नवरात्रि में भगवती महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती की आराधना विशेष रूप से की जाती है। इसी के साथ मां के 9 रूपों की अर्थात नवदुर्गा (नवदेवी) की आराधना भक्त करते हैं। इन नवरूप के साथ ही मां ने अनेक रूप धारण किए हैं व समय-समय पर भक्तों के मनोरथ पूर्ण किए हैं।
आप इस वर्ष मां के वर्तमान के ग्रहों के परिभ्रमण को देखते हुए अपनी राशि अनुसार देवी के स्वरूप की आराधना करें जिससे कि मां की कृपा आप पर बनी रहे व आप अपने जीवन का उद्धार कर सकें। इस वर्ष चैत्री नवरात्रि रविवार, 18 मार्च से प्रारंभ हो रही है व 25 मार्च को समाप्त होगी अर्थात चैत्र सुदी पड़वा से चैत्र सुदी नवमी (रामनवमी) तक रहेगी।
आप अपनी राशि अनुसार दुर्गा स्वरूप की आराधना करें, जानिए...
सर्वप्रथम देवी का आवाहन करें...
आगच्छ त्वं महादेवि, स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करिष्यामि, तावत त्वं सन्निधौ भव।।
आवाहन के बाद आप देवी की आराधना करें।
मेष : मेष राशि वाले भवानी स्वरूप की आराधना करें।
वृषभ : वृषभ राशि वाले सरस्वती देवी की आराधना करें।
मिथुन : मिथुन राशि वाले भुवनेश्वरी देवी की आराधना करें।
कर्क : कर्क राशि वाले भैरवी स्वरूप की आराधना करें।
सिंह : सिंह राशि वाले जया स्वरूप की आराधना करें।
कन्या : कन्या राशि वाले चन्द्रघंटा स्वरूप की आराधना करें।
तुला : तुला राशि वाले लक्ष्मीजी की आराधना करें।
वृश्चिक : वृश्चिक राशि वाले कालरात्रि की आराधना करें।
धनु : धनु राशि वाले मातंगी स्वरूप की आराधना करें।
मकर : मकर राशि वाले शारदा देवी की आराधना करें।
कुंभ : कुंभ राशि वाले कालिकाजी की आराधना करें।
मीन : मीन राशि वाले गौरीजी की आराधना करें।
आप अपनी राशि अनुसार देवी आराधना करें, साथ ही नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करें तो अत्यंत लाभ मिलेगा।