इस बार यह 25 मई से आरंभ होकर 3 जून तक रहेगा। 25 से 30 मई तक अलग-अलग स्थितियों में सूर्य, मंगल, बुध का शनि से समसप्तक योग भी निर्मित होता है इससे भी धरती पर तापमान बढ़ता है। हालांकि अत्यधिक गर्मी के कारण कभी-कभी बारिश के योग भी बन जाते हैं। इसे रोहिणी का गलना कहते हैं। मान्यता है कि अगर इन 9 दिनों के बीच पानी गिर जाए तो वर्ष भर बारिश अच्छी नहीं होती है। लेकिन अगर रोहिणी खूब तपती है तो साल में वर्षा के योग उत्तम बनते हैं। दूसरे शब्दों में इस दौरान भीषण गर्मी होती है तो मानसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं, वहीं यदि तपन कम हो तो वर्षा योग भी सामान्य ही रहता है।
सूर्य 25 मई को सायं 7.53 बजे रोहिणी में प्रवेश करेगा। ज्येष्ठ माह में सूर्य के वृषभ राशि के 10 अंश से लेकर 23 अंश 40 कला तक को नौतपा कहा जाता है। सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला में रहेगा। वैसे तो यह समयावधि 15 दिवस की होती है, क्योंकि सूर्य 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में भ्रमण करता है, लेकिन शास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रारंभ के नौ दिन ही नौतपा के तहत स्वीकार किए जाते हैं, इसके बाद सूर्य के ताप का उत्तरार्ध होता है, जो नौतपा के लिए त्याज्य है।
ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा और देवता ब्रह्मा है। सूर्य ताप, तेज का प्रतीक है, जबकि चंद्र शीतलता का। चंद्र से धरती को शीतलता प्राप्त होती है। सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो इससे वह उस नक्षत्र को अपने पूर्ण प्रभाव में ले लेता है। जिस तरह कुंडली में सूर्य जिस ग्रह के साथ बैठ जाए वह ग्रह अस्त हो जाता है, उसी तरह चंद्र के नक्षत्र में सूर्य के आ जाने से चंद्र के प्रभाव क्षीण हो जाते हैं यानी पृथ्वी को शीतलता प्राप्त नहीं हो पाती। इस कारण ताप अधिक बढ़ जाता है।
27 मई से सूर्य बुध का शनि से समसप्तक योग भी बन रहा है, जो गर्मी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा, हालांकि इस दौरान ताप इतना अधिक बढ़ जाएगा कि बादल बनेंगे और धूल भरी आंधियों के साथ बारिश होगी। नौतपा के दौरान तेज आंधियां आने के आसार हैं। देश में कहीं-कहीं तेज बारिश, समुद्र में तूफान और भूकंप जैसी आपदा आ सकती है।