ज्योतिष शास्त्र में पंचक काल के समय को शुभ नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और नुकसानदेह नक्षत्रों का योग माना जाता है। मान्यतानुसार धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है।
जब चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। इस बार 9 सितंबर 2022, (panchak 9 september 2022) दिन शुक्रवार से पंचक काल शुरू हो रहा है और इसे चोर पंचक कहा जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस बार 9 सितंबर 2022, शुक्रवार की सुबह 12.39 मिनट से पंचक शुरू हो रहा है, जो कि 13 सितंबर 2022, दिन मंगलवार की सुबह 6.36 मिनट तक जारी रहेगा।
ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ विशेष कार्य नहीं किए जाते हैं। इस बार पंचक शुक्रवार से शुरू हो रहा है, जो चोर पंचक कहलाता है। प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में धनिष्ठा से रेवती तक जो 5 नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) होते हैं, उन्हें पंचक कहा जाता है। अत: इन 5 दिनों में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए तथा मांगलिक कार्यों को करने से भी बचना चाहिए।
जानिए 5 बड़ी बातें-
1. प्रचलित मान्यतानुसार पंचक में किसी की मृत्यु होने से और पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुटुंब या निकटजनों में पांच मृत्यु और हो जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए यदि किसी की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है, तो शव के साथ 5 पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, इससे पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
2. पंचक के दौरान घास, लकड़ी, ईंधन, काष्ठ आदि का संग्रह नहीं करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
3. विद्वानों की मानें तो चोर पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस समयावधि में दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह यम की दिशा मानी गई है। अत: यह समय हानिकारक माना गया है।
4. शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। अत: इस दौरान धन का लेन-देन, व्यापार या किसी खास तरह के सौदे नहीं करने चाहिए, इससे धन हानि संभव है।
5. पंचक के दौरान पलंग तथा घर की छत नहीं बनाना चाहिए, इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।