जन्मपत्रिका के तृतीय भाव से साहस व पराक्रम का विचार किया जाता है। यदि जातक की जन्मपत्रिका में तृतीय भाव पर क्रूर ग्रहों जैसे सूर्य, मंगल, शनि व राहु-केतु का प्रभाव हो तो ऐसा जातक साहसी व पराक्रमी होता है। यदि तृतीय भाव में क्रूर ग्रह की राशि हो या तृतीय भाव क्रूर ग्रहों द्वारा दृष्ट हो तो यह योग जातक को निडर व साहसी बनाता है। तृतीय भाव के अधिपति (तृतीयेश) की क्रूर ग्रहों के साथ युति भी जातक को साहसी बनाती है। इसके विपरीत यदि तृतीय भाव पर सौम्य ग्रहों जैसे चन्द्र, शुक्र, गुरू व बुध आदि का प्रभाव हो तो ऐसा जातक सौम्य स्वभाव वाला होता है।