29 मार्च को शनि ग्रह के मीन राशि में जाने के बाद विश्व राजनीति में बदलाव हो गया है। इसके बाद कई अशुभ योग का निर्माण हुआ जिसमें शनि और राहु की युति से पिशाच योग, शनि-मंगल और राहु-मंगल का षडाष्टक योग, मंगल केतु का कुंजकेतु योग और खप्पर योग बना जिसने देश-दुनिया में युद्ध को भड़का दिया। भूकंप और बाढ़ के साथ ही कई घटना दुर्घटना को जन्म दिया। इन्हीं योग में भारत के पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ और फिर भारत पाकिस्तान के बीच तीन दिनों तक युद्ध चला। वर्तमान में भी इसी तरह के ग्रह योग बने हुए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अब स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार का आतंकवाद हमला होता है तो इसे युद्ध माना जाएगा। ऐसे में आतंकवादी, उनके वित्त पोषक, उनके आका सभी को एक ही माना जाएगा। माना जा रहा है कि ऐसी स्थिति में अब पाकिस्तान ने भी अपनी चाल बदल दी है। अमेरिका खुलकर अब पाकिस्तान के समर्थन में आ गया है। अमेरिका ने ही पाकिस्तान में इमरान की सरकार को हटाकर अपने पक्ष की सरकार को बिठाया है। यही काम उसने बांग्लादेश में किया है और अब यही काम वह भारत में करना चाहता है।
अमेरिका चाहता है कि भारत आर्थिक और सैन्य रूप से एक शक्तिशाली राष्ट्र कभी नहीं बने। इसलिए अब वह पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर भारत को युद्ध की आग में झोंकना चाहेगा। वह भारत को पूर्वोत्तर और बांग्लादेश में भी उलझाना चाहता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य, ओड़िसा और पश्चिम बंगाल की सीमा बहुत संवेदनशील हो चली है। यानी बांग्लादेश से लगती सीमा घुसपैठ और तस्करी के के लिहाज से काफी संवेदनशील है। सालों पहले इस रास्ते से आतंकवादी गतिविधियों को भी अंजाम दिया जाता रहा है. अब एक बार फिर से यह खतरा सिर उठाने लगा है। पाकिस्तान और तुर्की जैसे आतंकपरस्त देशों से हाथ मिलने वाले यूनुस अब भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश को फिर से ऑक्सीजन देने में जुटे हैं। बीते आठ साल से निष्क्रिय हो चुके इस संगठन की फिर से वापसी से भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं और पश्चिम बंगाल पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। ISI और जमात-ए-इस्लामी की शह पर ये संगठन बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे हैं। ये आतंकादी संगठन पाकिस्तान की शह पर रोहिंग्या और अवैध प्रवासियों की भर्ती कर रहा है और उन्हें भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में भेजकर वहां छोटे-मोटे उद्योगों में काम करने को कह रहा है
वर्तमान में अमेरिका की कुंडली में पंचम भाव में राहु और बुध की युति कर्क राशि में बनी है। कन्या का शनि सप्तम भाव में है। मकर का चंद्र केतु के साथ एकादश भाव में है। मिथुन राशि और चतुर्थ भाव में शुक्र, मंगल, सूर्य और गुरु की युति है। अमेरिकी कुंडली में राहु की महादशा 22 जनवरी 2022 से शुरु हुई है जो 2040 तक चलेगी। इस दौरान वह मुंह की खाएंगे। उसकी सारी चालें फैल हो जाएगी।
वर्तमान में भारत की कुंडली में जो ग्रह योग चल रहे हैं। उसमें लग्न में राहु वृषभ का है। दूसरे भाव में मिथुन राशि में मंगल, तीसरे भाव में कर्क राशि में सूर्य, बुध, चंद्र, शुक्र और शनि की युति बनी हुई है। छठे भाव में तुला राशि का गुरु है। अष्टम भाव में केतु वृश्चिक राशि में स्थित है। यह स्थिति बताती है कि भारत के शत्रु भारत के खिलाफ किसी बड़ी साजिश को अंजाम देंगे। संकेत ऐसे भी मिलते हैं कि इस बार भारत के पूर्वी क्षेत्र से कोई बड़ी आफत आ सकती है, क्योंकि भारत की कुंडली में 11 सितंबर तक चंद्र की महादशा चल रही है। इसके बाद मंगल की महादशा चलेगी जिसमें मंगल की अंतरदशा रहेगी। यह अंतरदशा 12 सितंबर 2025 से लेकर 9 फरवरी 2026 तक। इस बीच भारत को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। इस दौरान भारत में आतंकवादी हमला या हिंदू मुस्लिम के दंगे कराए जाने के संकेत मिलते हैं। यह भी हो सकता है कि इस दौरान भारत में कोई बड़ा आंदोलन हो जो भारत को अस्थिर कर सकता है।
मेष लग्न की कुंडली में पाकिस्तान की कुंडली में इस वक्त शुक्र मार्केश अवस्था में चल रहा है। उसकी महादशा चल रही है। इससे उसकी आर्थिक स्थित खराब हो चली है। उसमें बुध की अंतरदशा चल रही है। बुध जो स्वयं चंद्रमा की राशि में शुक्र, शनि के साथ फंसा हुआ है। इसके चलते पाकिस्तान के बुरे दिन चल रहे हैं। पाकिस्तान की कुंडली में सूर्य की महादशा में केतु की अंतरदशा चल रही है। बृहद पराशर होरा शास्त्र के अनुसार सूर्य की महादशा में यदि शुक्र की अंतरदशा होती है और शुक्र यदि शत्रु राशि में हो या शत्रु राशि के स्वामी के साथ बैठा हो तो अनिष्ट कारक योग के चलते अपमृत्यु यानी समय के पहले मृत्यु का योग बनता है। यानी यदि वर्तमान में पाकिस्तान का यदि भारत से युद्ध हुआ तो भारत उसको मिट्टी में मिला देगा, लेकिन भारत को इसकी बड़ी कीमत चुकाना होगी। फिलहाल भारत को चाहिए कि वह अपनी पूर्वी सीमा को मजबूत बनाए और वहां पर भी एयर डिफेंस सिस्टम को अधिक संख्या में 6 लेयर में स्थापित करें।
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