न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।-
अर्थात्- जो दर्शन करने पर सारे पापों का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्री कृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है। (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)। ऐसी ही तुलसी जी की महीमा है।