कैसे किया जाता है राहु और केतु का व्रत

राहु और केतु का व्रत 18 शनिवारों तक करना चाहिए। काले रंग का वस्त्र धारण करके राहु के व्रत में 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:' इस मंत्र की एवं केतु के व्रत में 'ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:' इस मंत्र की 18, 11 या 5 माला जप करें।


 

जप के समय एक पात्र में जल, दूर्वा और कुशा अपने पास रख लें। जप के बाद इनको पीपल की जड़ में चढ़ा दें। भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी, भूजा और काले तिल से बने पदार्थ खाएं। रात में घी का दीपक पीपल वृक्ष की जड़ में रख दिया करें। इस व्रत के करने से शत्रु का भय दूर होता है, राजपक्ष से (मुकदमे में) विजय मिलती है, सम्मान बढ़ता है।



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