पाराशरी राजयोग
कुंडली में जब केंद्र भावों का संबंध त्रिकोण भाव से हो तो ऐसी स्थिति में पाराशरी राजयोग का निर्माण होता है। दशावधि में इस योग के प्रभाव से आप धनी और समृद्धिशाली बनेंगे। आपके पास दौलत, शोहरत, गाड़ी, बंगला आदि सारी चीजें होंगी।
नीच भंग राजयोग
कुंडली में जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी उसे देख रहा हो या फिर जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी स्वगृही होकर युति संबंध बना रहा हो तो नीच भंग राजयोग का सृजन होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है, वह एक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है।
उभयचरी राजयोग
कुंडली में यदि चंद्रमा के अतिरिक्त राहु-केतु, सूर्य से दूसरे या बारहवें घर में स्थित हों तो कुंडली में उभयचरी योग का निर्माण होता है। इस राजयोग वाले व्यक्ति का भाग्य बड़ा प्रबल होता है। ऐसे जातक स्वभाव से हंसमुख और बुद्धिमान होते हैं। ये बड़ी से बड़ी चुनौतियों को आसानी से पार कर जाते हैं।
धनयोग
कुंडली में पहला, दूसरा, पांचवां, नौवां और ग्यारहवां भाव धन देने वाले हैं। अगर इनके स्वामियों में युति, दृष्टि या राशि परिवर्तन संबंध बनता है तो इस स्थिति में धन योग का निर्माण होता है। इस राजयोग से व्यक्ति का आर्थिक जीवन बेहद समृद्धिशाली बनता है।