इस बार दो दिन मनाई जाएगी शनि जयंती

इस बार मतांतर के कारण शनि जयंती दो दिन मनाई जाएगी। 17 मई 2015, रविवार दोपहर 11.48 मिनट से अमावस्या लगेगी जो 18 मई, सोमवार सुबह 9.43 मिनट तक ही रहेगी। अत: स्मार्त मत वाले 17 को और वैष्णव मत वाले 18 मई को शनि जयंती मनाएंगे। 


 
पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि का जन्म हुआ था। एक मान्यता के अनुसार भगवान शनिदेव का जन्म दोपहर 12 बजे माना जाता है। इसीलिए 17 मई को दोपहर 11.48 मिनट से लगने वाली अमावस्या में ही शनि जयंती मनाना श्रेष्ठ रहेगा, ऐसा ज्योतिषाचार्यों का मत है।  संयोग से इस बार शनि जयंती-सोमवती अमावस्या साथ है। अत: इस दिन शनिदेव का पूजन-अर्चना करना शुभ फलदायी रहेगा। 

शनि की साढ़ेसाती व ढैया से प्रभावित लोगों को शनि महाराज को खुश करने के लिए दान-पुण्य के साथ-साथ उनके मंत्रों का जाप करना जरूरी है। खास तौर पर गरीबों को बांटे गए वस्त्र, कंबल, छत्री, असहायों को भोजन कराना, इमरती खिलाना, दान दक्षिणा देने जैसे कार्य करने से शनि की दृष्टि से प्रभावित भक्तों के कष्ट दूर होकर उन्हें सुख के अवसर प्राप्त होते हैं। 

भगवान शनि की आराधना करते हुए 'छाया मार्तंड संभूतम्‌, तम्‌ नमामि शनैश्चरम्' इस मंत्रोच्चार के जाप से मनुष्य को सुख, शांति व समृद्धि की प्रा‍प्ति होगी।
 


 

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