Shani Transit: 15 मार्च को शनिदेव शतभिषा नक्षत्र में गोचर करने लगेंगे। शतभिषा नक्षत्र के पहले चरण में शनिदेव 15 मार्च से 17 अक्टूबर तक रहेंगे। इसके स्वामी बृहस्पति ग्रह हैं। शनि ग्रह इस समय कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। राशि से ज्यादा नक्षत्र में भ्रमण के प्रभाव को माना जाता है क्योंकि राशियां तो काल्पनिक पथ है।
कुछ ज्योतिषियों ने इसकी दृष्टि मानी है और कुछ के मान से इसका अस्तित्व नगण्य है तो दृष्टि कैसी? यदि राहु मेष लग्न में उच्च का हो तो इसके परिणाम भी शुभ मिलते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी राहु है, इसकी दशा में 18 वर्ष हैं व कुंभ राशि के अंतर्गत आता है। राहु तो शनिदेव का अनुचर है। तभिषा नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि कुंभ तथा राशि का स्वामी शनि, वर्ण शूद्र वश्य नर, योनि अश्व, महावैर योनि महिष, गण राक्षस तथा नाड़ी आदि हैं। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।